AAP नेता राघव चड्ढा का बड़ा बयान, कहा- दिल्ली दंगों में Facebook का हाथ

फेसबुक मामले को लेकर दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति की 31 अगस्त को फिर बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता आप के विधायक राघव चड्ढा ने की। इस बैठक में तीन गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए। बैठक के बाद राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली दंगों में फेसबुक का हाथ था।

दिल्ली दंगों में फेसबुक का हाथ- चड्ढा

फेसबुक मामले को लेकर दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति की 31 अगस्त को फिर बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता आप के विधायक राघव चड्ढा ने की। इस बैठक में तीन गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि फरवरी, 2020 में हुए दिल्ली दंगों में फेसबुक का हाथ था, फेसबुक पर जिस प्रकार की सामग्री का प्रचार किया गया, उससे लगता है कि कुछ लोगों की कोशिश दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दंगा कराने की थी। राघव चड्ढा ने कहा कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त की तरह मानना चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए।

फेसबुक के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट जरूरी- चड्ढा

राघव चड्ढा ने कहा कि स्वतंत्र जांच एजेंसी की निष्पक्ष जांच के बाद फेसबुक के खिलाफ कोर्ट में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपना बचाव करने और अपना पक्ष रखने के लिए फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को समिति अगली बैठक में पेश होने के लिए समन जारी करेगी। राघव चड्ढा ने कहा कि आज की बैठक में आवेश तिवारी, कुणाल पुरोहित और सुभाष गड़के गवाह के रूप में पेश हुए, तीनों पत्रकार हैं, इन्होंने काफी अरसे से फेसबुक की गतिविधियां समझी हैं और दिल्ली दंगे से संबंधित कई सारे नए सुबूत और कुछ चीजें समिति के सामने रखे।

फेसबुक सांप्रदायिकता को प्रचारित करता है- चड्ढा

राघव चड्ढा ने कहा कि फेसबुक सांप्रदायिकता पैदा करने वाली सामग्री को प्रचारित करता है, हमने आज की प्रक्रिया को लाइव दिखाया, ताकि जनता के सामने निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके, फेसबुक सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली सामग्री अपने प्लेटफार्म पर रखता है। चड्ढा ने कहा कि भारत में दो समुदायों के बीच भाई-चारा, अमन, शांति आदि को बढ़ावा देने वाली सामग्री को फेसबुक हटा देता है और जो सामग्री दो समुदायों के बीच दंगा कराने में मददगार होती है उसे ज्यादा प्रचारित करता है, लेकिन, अमेरिका में इससे उलट करता है, क्योंकि फेसबुक ने अमेरिका में सामुदायिक मानक यानि कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू किया है।

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