
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि केंद्र सरकार पंत और पुजारा की तरह बैटिंग करके भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी को दूर करने के लिए तैयार है, साथ ही उन्होंने कहा कि देश की विकास दर में गिरावट कम हुई है।
सबको मुफ्त मिल सकती है वैक्सीन- सुब्रमण्यन
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन की टीम की तरफ से तैयार किए गए इकोनॉमिक सर्वे में कई सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों में भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने, कोरोना वैक्सीनेशन आदि से जुड़ी चीजें भी शामिल हैं। इकोनॉमिक सर्वे समेत कई मुद्दों पर केवी सुब्रमण्यन ने आज 31 जनवरी को एक निजी टीवी चैनल से एक्सक्लूसिव बातचीत की। बातचीत में केवी सुब्रमण्यन ने संकेत दिया कि कोरोना वैक्सीन सबको मुफ्त मिल सकती है, उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है, लोगों का वैक्सीनेशन होने से सर्विस सेक्टर से जुड़े कई क्षेत्र फिर से सक्रिय होंगे, इस विषय में काफी विचार-विमर्श हुआ है और केंद्र सरकार ने क्या निर्णय लिया है, यह कल Eबजट में पता चलेगा।
3.5 से 4 फीसदी हो सकती है कृषि विकास दर
केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि कृषि इकोनॉमी के लिए बैक बोन बनने जा रही है, कृषि की विकास दर 3.5 से 4 फीसदी तक हो सकती है, किसानों पर अंतराष्ट्रीय निवेशकों का असर नहीं होगा, उल्टे नए कृषि कानूनों के लागू होने से किसानों को लाभ होगा, ये कानून छोटे किसानों के लिए ज्यादा मददगार हैं। इकोनॉमिक सर्वे में महंगे इलाज पर दिए सुझावों के बारे में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का 1 फीसदी है, इसे बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया जाए तो गरीबी पर इलाज का बोझ कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हेल्थ सिस्टम लचीला होना चाहिए, देश में निजी अस्पतालों को लेकर रेग्युलेटर बनाने की जरूरत है, इससे इस क्षेत्र में विषमताओं को दूर किया जा सकता है।
सरकार कार्य में तेजी ला रही है- सुब्रमण्यन
केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि पंत और पुजारा की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी को दूर करने के लिए तैयार है, चालू वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर में गिरावट पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में काफी कम हुई है और इसमें आगे सुधार होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के दौरान आवश्यकताओं पर ध्यान देते हुए कार्य किया, अब सरकार कार्य में तेजी ला रही है। केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि इकोनॉमिक सर्वे में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने का सुझाव दिया गया है क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोजगार पैदा होते हैं, भारत 1998 से 2003 के बीच ऐसा कर चुका है और इसे फिर से दोहराया जा सकता है।