
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने मांग की है कि रिपब्लिक टीवी को इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
रिपब्लिक टीवी पर रेटिंग में हेरफेर का आरोप
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन यानि एनबीए ने कहा कि लीक वॉट्सऐप संदेशों से पता चलता है कि रिपब्लिक टीवी के लिए लगातार कई महीने फर्जी तरीके से रेटिंग में हेरफेर कर ज्यादा दर्शक संख्या दिखायी गयी और दूसरे चैनलों की रेटिंग घटायी गयी यानि रिपब्लिक टीवी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया। एनबीए ने कहा है कि इन संदेशों से यह साफ है कि लगातार कई महीनों तक फर्जी तरीके से रिपब्लिक टीवी की ज्यादा व्यूअरशिप दिखाने के लिए दोनों के बीच आपसी सांठगांठ थी। एनबीए ने रिपब्लिक टीवी को तत्काल प्रभाव से इंडियन ब्रॉडकास्टिंठग फाउंडेशन यानि आईबीएफ की सदस्यता से निलंबित करने की मांग की है।
अर्णब-पार्थो के बीच संदेशों से एनबीए स्तब्ध
रिपब्लिक टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर अर्णब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच हुए सैकड़ों WhatsApp संदेशों को देखकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) स्तब्ध रह गया है। एनबीए ने कहा कि ये वॉट्सऐप मैसेज न सिर्फ रेटिंग में हेरफेर को दर्शाते हैं, बल्कि सत्ता के खेल को भी उजागर करते हैं। दोनों के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान में केंद्र सरकार में सचिवों की नियुक्ति, कैबिनेट में बदलाव, पीएमओ तक पहुंच और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कामकाज पर भी रोशनी पड़ती है। इससे एनबीए द्वारा पिछले 4 वर्ष से लगातार लगाए जा रहे इन आरोपों की पुष्टि होती है कि एक गैर एनबीए सदस्य ब्रॉडकास्टर बार्क के शीर्ष प्रबंधन के साथ मिली-भगत कर रेटिंग में हेरफेर कर रहा है।
रेटिंग में हेरफेर का मामला अदालत में लंबित
एनबीए ने मांग की है कि रिपब्लिक टीवी को तत्काल प्रभाव से इंडियन ब्रॉडकास्टिं ग फाउंडेशन (आईबीएफ) की सदस्यता से निलंबित किया जाए और यह तब तक जारी रहे जब तक कि रेटिंग में हेरफेर का मामला अदालत में लंबित है। एनबीए बोर्ड का यह भी मानना है कि रिपब्लिक टीवी द्वारा रेटिंग में हेरफेर से प्रसारण उद्योग की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान हुआ है और इसलिए जब तक अदालत का अंतिम आदेश नहीं आ जाता है, इस इंडस्ट्री को बार्क की रेटिंग सिस्टम से बाहर रखना चाहिए।
फिलहाल रेटिंग पर भरोसा नहीं- एनबीए
एनबीए ने बार्क को बता दिया है कि फिलहाल रेटिंग पर भरोसा नहीं किया जा सकता और हाल के खुलासों को देखते हुए इसे निलंबित रखना चाहिए, जिनसे यह पता चलता है कि बार्क किस तरह से मनमाने तरीके से काम कर रहा है, इससे पता चलता है कि इस व्यवस्था में किसी भी तरह का अंकुश नहीं है और बार्क में कुछ लोग आसानी से अपनी मर्जी के मुताबिक, रेटिंग में बदलाव कर देते हैं, इससे पूरा सिस्टम किसी पारदर्शी प्रणाली की जगह मैनेजमेंट की मनमर्जी से चल रहा है।