
राज्यसभा में आज 9 फरवरी को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत चार सांसदों की के विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की।
पीएम मोदी ने की गुलाम नबी आजाद की तारीफ
राज्यसभा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों की विदाई भाषण के भावुक होकर गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की। प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि गुलाम नबी आजाद ने उस दिन उनको फोन किया तथा वह फोन पर बहुत रो रहे थे, वह अपने परिवार के सदस्य की तरह चिंता की, मेरे लिए वो बड़ा भावुक पल था, उस समय मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलाम नबी आजाद से मेरे रिश्ते दोस्ताना रहे हैं, राजनीति में बहस, वार-पलटवार चलता रहता है, लेकिन एक मित्र होने के नाते मैं उनका बहुत ही आदर करता हूं। ध्यान रहे कि राज्यसभा में आज कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज, नादिर अहमद को विदाई दी जा रही है।
पार्टी, देश व सदन की चिंता करते थे आजाद- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि ‘मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी आजाद जी के बाद इस पद को जो संभालेंगे उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कते होंगी, क्योंकि गुलाम नबी जी अपनी पार्टी की चिंता करते थे, साथ ही देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे, ये छोटी बात नहीं है, वरना विपक्ष के नेता के रूप में हर कोई अपना दबदबा कायम करना चाहता है, मैं शरद पवार जी को भी इसी श्रेणी में रखता हूं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान मुझे गुलाम नबी जी का फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि सभी पार्टी अध्यक्षों की मीटिंग जरूर बुलाइए, इसके बाद मैंने गुलाम नबी जी के सुझाव पर मीटिंग बुलाई।
पीएम मोदी की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब गुलाम नबी जी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, हम दोनों की बहुत गहरी निकटता थी, एक बार गुजरात के यात्री जम्मू-कश्मीर घूमने गए और आतंकियों ने उनपर हमला कर दिया, करीब 8 लोग मारे गए थे, सबसे पहले गुलाम नबी जी ने मुझे फोन किया, इतना कहते ही प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए, उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे, संसद एक दम खामोश हो गई और वह सुबकियां ले रहे थे, फिर प्रधानमंत्री मोदी ने पानी पिया और अपने आप को संभाला, साथ ही उन्होंने सदन से माफी भी मांगी।
आजाद ने अपने परिवार की तरह चिंता की- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि वह फोन मुझे सूचना देने का नहीं था, उनके आंसू रुक नहीं रहे थे, उस वक्त प्रणब मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे, मैंने उन्हें फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए शव लाने के लिए तो सही रहेगा, उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था करता हूं, इसके बाद गुलाम नबी आजाद जी का एयरपोर्ट से फिर फोन आया, जैसे कोई अपने परिवार की चिंता करता है, वैसे ही चिंता गुलाम नबी आजाद ने उस दिन की, वो मेरे लिए बहुत भावुक पल था।
आजाद को मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पद और सत्ता जीवन में आती रहती है, लेकिन उसे कैसे पचाना है, सुबह मेरे पास फिर फोन आया था कि मोदी जी शव पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटना और अनुभवों के आधार पर मैं आदर करता हूं, मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, उनकी विनम्रता और देश के लिए कुछ करने की चाह, कभी उनको चैन से बैठने नहीं देगी, मुझे विश्वास है कि जो भी दायित्व वह जहां भी संभालेंगे, जरूर अपना योगदान देंगे, मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं।