
तेलंगाना के काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है।
रामप्पा मंदिर यूनेस्को के विश्व विरासत में शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 25 जुलाई को तेलंगाना में काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किए जाने पर देशवासियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने एक ट्विट करके कहा, ‘सभी को बधाई, विशेष रूप से तेलंगाना के लोगों को, प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है, मैं आप सभी से इस राजसी मंदिर परिसर में जाने और इसकी भव्यता का हाथ अनुभव करने का आग्रह करूंगा।’ दरअसल, आज 25 जुलाई को तेलंगाना में काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया है। यूनेस्को ने इस बारे में जानकारी देते हुए एक ट्विट के माध्यम से कहा, ‘तेलंगाना के काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया गया है।’
रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में हुआ था
ध्यान रहे कि तेलंगाना के वारंगल में स्थित यह शिव मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है। इतिहास के मुताबिक, काकतीय वंश के राजा ने रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में करवाया था। वहीं इस खबर को सुनने के बाद तेलंगाना के मंत्री के टी रामाराव ने भी खुशी जाहिर करते हुए ट्विट करके कहा, ‘यह खुशखबरी साझा करते हुए खुशी हो रही है कि तेलंगाना में 800 वर्षीय काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में अंकित किया गया है, मेरी उन सबको बधाई जो इस प्रयास में शामिल थे।’
रामप्पा मंदिर का निर्माण रूद्र रेड्डी ने करवाया था
केटी रामा राव ने ट्विट करके कहा तेलंगाना से काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर पहला विश्व धरोहर स्थल है, अगला उद्देश्य हमारी राजधानी हैदराबाद के लिए विश्व विरासत शहर का दर्जा प्राप्त करना है। काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो इसका निर्माण काकतीय नरेश रूद्र रेड्डी ने 1213 ई. में करवाया था, इस मंदिर के निर्माण के दौरान बेहतर नक्काशी और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, इस मंदिर का प्रभावशाली प्रवेशद्वार, विशाल खम्भे और छतों के शिलालेख आकर्षण के केंद्र हैं।