
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बने में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग ‘अटल टनल’ का उद्घाटन किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। यह यह सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी है।
हिमाचल के लोगों का इंतजार खत्म हुआ- मोदी
अटल टनल के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है, अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है, इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं।
अटल टनल लेह-लद्दाख की लाइफलाइन- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफलाइन बनेगी, अटल टनल की वजह से लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी, अटल टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। उन्होंने कहा पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अटल टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ताकत देने वाली है, ये विश्व स्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता-जागता उदाहरण है।
अटल टनल के बनने से किसानों को लाभ- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते 6 वर्षों में हमारी सरकार ने पुरानी स्थिति को बदलने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया है, हिमालय क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, कारगिल, लेह-लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम में अनेकों प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा चुके हैं, साथ ही दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि अटल टनल के बनने से लाहौल-स्पीति और पांगी के किसान बागवानी से जुड़े लोगों, पशुपालक, स्टूडेंट्स, नौकरीपेशा लोगों, व्यापारी-कारोबारी सभी को लाभ होने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब लाहौल के किसानों की गोभी, आलू और मटर की फसल बर्बाद नहीं होगी, बल्कि तेजी से मार्केट पहुंचेगी।
अटल टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है
ध्यान रहे कि रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी ये अटल टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है, इस टनल की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक-दूसरे से जुड़े रह सकेंगे। इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी। ध्यान रहे कि ‘अटल टनल’ का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक की मदद से पीर पंजाल की पहाड़ियों में किया गया है, ये समुद्र तट से 10,040 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ‘अटल टनल’ के बन जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है और दोनों स्थानों के बीच सफर में लगने वाले समय में 4 से 5 घंटे की कमी आएगी।
‘अटल टनल’ का आकार घोड़े की नाल जैसा
‘अटल टनल’ का आकार घोड़े की नाल जैसा है, इसका दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6×2.25 मीटर का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वार बना हुआ है, ‘अटल टनल’ से रोजाना 3000 कारें और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से निकल सकेंगे। ‘अटल टनल’ में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं, हर 150 मीटर की दूरी पर टेलीफोन की व्यवस्था की गई है ताकि आपात स्थिति में संपर्क स्थापित किया जा सके, हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशमन यंत्र रखे गए हैं तथा 250 की दूरी पर सीसीटीवी की व्यवस्था है।