50वें विजय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंच कर 1971 के युद्ध में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। 1971 में आज ही के दिन पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तानी सैन्य बलों के कमांडर ने बांग्लादेश के गठन के लिए ‘इंन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर’ पर हस्ताक्षर किए थे।
PM मोदी ने युद्ध में शहीदों को श्रद्धांजलि दी
1971 युद्ध के स्वर्णिम विजय पर्व के मौके पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी आज 16 दिसंबर को नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंच कर 1971 के युद्ध में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमत्री मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल में स्वर्णिम विजय मशालों के स्वागत और सम्मान समरोह में भाग लेते हुए जंग में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे।
मशालों को ज्वाला के तौर पर विलय किया जाएगा
ध्यान रहे कि प्रधानमत्री मोदी ने पिछले साल इसी दिन 4 स्वर्णिम विजय मशालों को प्रज्वलित किया था, पीएमओ से मिली जानकारी के मुताबिक, इन मशालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया, इनमें 1971 की हुई जंग में परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांव भी शामिल बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस श्रद्धांजलि समारोह के दौरान इन मशालों को एक ज्वाला के तौर पर विलय किया जाएगा।
सशस्त्र बलों के बलिदान को याद करता हूं- मोदी
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह ट्वीट करके कहा था कि ‘मैं 50वें विजय दिवस के मौके पर मुक्तियोद्धाओं, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीरता और उनके बलिदान को याद करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि हमने साथ मिल कर इन दमनकारी ताकतों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया, इस विजय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी ढाका पहुंचेंगे।’
हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है- राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि ‘स्वर्णिम विजय दिवस के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं, 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।’