वैश्विक महामारी कोविड-19 का सामना हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दूसरे दिन की घोषणा पर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने जमकर निशाना साधा है।
आर्थिक पैकेज का पूरा मामला महाभारत के अश्वत्थामा मरो, नरो वा कुंजरो जैसा- सिन्हा
वैश्विक महामारी कोविड-19 का सामना हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दूसरे दिन की घोषणा पर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज जमकर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरा मामला महाभारत के अश्वत्थामा मरो, नरो वा कुंजरो जैसा ही है।
सीतारमण छोटे-मोटे आंकड़ों को जोड़कर 20 लाख करोड़ तक पहुंचाने में लगीं- सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय इसमें आरबीआई तथा पुरानी आर्थिक घोषणाओं को भी धीरे से कह कर जोड़ लिया है, अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसी तरह से सभी छोटे-मोटे आंकड़ों को जोड़कर इसे 20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने में लगी हुई हैं।
मनरेगा का बजट बढ़ा नहीं, तो गांव पहुंच रहे मजदूरों को काम कैसे मिलेगा- सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी गरीबों, मजदूरों को अनाज, खाना देने की घोषणा की है, यह अच्छी बात है कि बिना राशन कार्ड वालों को भी सरकार अनाज देगी, यह खर्च केंद्र सरकार के बजट से खर्च होगा, लेकिन इसके आगे क्या, केंद्र सरकार ने तो मनरेगा का बजट तो बढ़ाया नहीं है, जब तक मनरेगा का बजट नहीं बढ़ेगा, गांव पहुंच रहे मजदूरों को काम कैसे मिल पाएगा?
किसानों को कर्ज से लेकर सब कुछ नाबार्ड, बैंक तथा संस्थाएं करेंगी- सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा का बजट बढ़ाती, तो यहां सरकार पर कुछ भार पड़ता, केंद्र सरकार ने राज्यों को अभी आर्थिक राहत देने की घोषणा नहीं की है, इससे बच रही है, यदि सरकार यह घोषणा करती है तो उसके बजट से पैसा जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को कर्ज से लेकर सब कुछ नाबार्ड, बैंक तथा संस्थाओं के जरिए होगा, यह सब तो लोन है, इसमें केंद्र सरकार के बजट से क्या जाना है ?
केंद्र सरकार के पास आगे का कोई दृष्टिकोण नहीं है- सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता एमएसएमई क्षेत्र में लोगों की नौकरियां जा रही है, लोगों को 2 महीने से तनख्वाह नहीं मिल रही है और केंद्र सरकार लोन लेने का पन्ने खोल रही है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के 51 दिन बाद केंद्र सरकार को सड़क, हाईवे पर जा रहे गरीब, मजदूरों की याद आई है, अब सरकार उनकी सुध लेने की बात कर रही है, अगर केंद्र सरकार चाहती तो पहले भी गरीब-मजदूरों को परिवहन की सुविधा देकर सुरक्षित तरीके से घर पहुंचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे केंद्र सरकार संवेदनहीन हो चुकी है, जिसके पास आगे का कोई दृष्टिकोण नहीं है।