
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आज यानि 10 सितंबर से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और उप प्रधानाचार्यों की पुनर्नियुक्ति तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी है। इस सत्र से ही अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कोई पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी।
अब पुनर्नियुक्ति की प्रणाली की कोई जरूरत नहीं
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों, उप प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को एक पत्र जारी करते हुए यह निर्देश दिया कि अब से पुनर्नियुक्ति की प्रणाली की ही कोई जरूरत नहीं रह गई है। इसलिए दिल्ली के 1030 सरकारी स्कूलों और 215 सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, इसमें वो शिक्षक भी शामिल हैं, जिनको इस साल पुनर्नियुक्ति मिली थी और उनका 2 साल का कार्यकाल बाकि था। यानि सत्र, 2020-21 में जितने भी शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और उप प्रधानाचार्यों की पुनर्नियुक्ति की गई थी उनकी भी सेवाएं समाप्त कर दी गई, अब उनसे किसी भी प्रकार का कार्य नहीं लिया जाएगा।
इस फैसले से तत्काल करीब 700 शिक्षकों पर असर
शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, जिस वक्त पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी तो उस समय शिक्षकों की काफी कमी थी, लेकिन अब निदेशालय ने बहुत से पद भर लिए हैं, इसलिए अब शिक्षकों की कमी रह नहीं गई, इसके चलते पुनर्नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले से दिल्ली के 700 से अधिक शिक्षकों, प्रधानाचार्यों व उप प्रधानाचार्यों पर असर पड़ेगा क्योंकि उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त की जा रही है। वहीं, दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद पुनर्नियुक्त हुए शिक्षकों में काफी रोष है, शिक्षक संगठन भी इन शिक्षकों के समर्थन में आगे आए हैं और इस फैसले को लेकर आंदोलन करने की बात भी कही है।
डीएसएसएसबी व अतिथि शिक्षकों से भरे जाएंगे पद
शिक्षा निदेशालय में कार्यरत उपशिक्षा निदेशक विकास कालिया ने बताया कि निदेशालय ने पुनर्नियुक्त हुए शिक्षक, प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्यों की सेवाएं भी समाप्त कर दी है। अब जितने भी पद खाली होंगे निदेशालय उनको भरने के लिए तैयारी करेगा, उनके मुताबिक खाली पदों को डीएसएसएसबी के जरिए भरा जाएगा और जरुरत पड़ी तो इन पदों पर जिन अतिथि शिक्षकों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है, जिनसे कोरोना काल में प्रधानाचार्य कार्य नहीं ले रहे हैं तो उन अतिथि शिक्षकों को भी नियुक्ति दी जा सकती है।
60 साल के बाद मिलती थी पुनर्नियुक्ति
ध्यान रहे कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी का हवाला देते हुए तत्कालिन शीला सरकार ने 4 सितंबर, 2006 को दिल्ली में स्कूली शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी, यानि 60 साल के बाद शिक्षकों को और दो सालों के लिए पुनर्नियुक्त किया जाता था, जिसके बाद से ही सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों ने पुनर्नियुक्ति के तहत 60 साल के बाद भी शिक्षण के कार्य में अपनी सेवाएं दी हैं। लेकिन अब सेवानिवृत शिक्षकों की शिक्षा विभाग ने छुट्टी कर दी है, अब उनकी सेवाएं स्कूलों में नहीं ली जाएंगी।