
ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब 43 फीसदी दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं, यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आया है। यह सर्वेक्षण दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने किया है।
करीब 43 फीसदी दिव्यांग बच्चे छोड़ सकते हैं पढ़ाई
ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब 43 फीसदी दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं, यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आया है। यह सर्वेक्षण दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई, 2020 में ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, चेन्नई, सिक्किम, नगालैंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में किया। इस सर्वेक्षण में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों समेत कुल 3627 लोगों ने भाग लिया।
77 फीसदी छात्र दूरस्थ शिक्षा के तरीकों से वाकिफ नहीं
स्वाभिमान के इस सर्वेक्षण के मुताबिक, 56.5 फीसदी दिव्यांग बच्चों को मुश्किलें आ रही हैं, तब भी वे रोजाना कक्षाएं ले रहे हैं, जबकि 77 फीसदी छात्रों ने कहा कि वे दूरस्थ शिक्षा के तरीकों से वाकिफ नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। सर्वेक्षण में पाया गया कि 56.48 फीसदी छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख रहे हैं, जबकि बाकि के 43.52 फीसदी छात्र पढ़ाई छोड़ने का मन बना रहे हैं, इसमें कहा गया है कि 39 फीसदी दृष्टिबाधित छात्र कई छात्रों के एक साथ बात करने के कारण विषयों को समझने में सक्षम नहीं हैं।
81 फीसदी शिक्षकों ने कहा कि दिव्यांग छात्रों तक पहुंचाने के लिए शिक्षण सामग्री नहीं
सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब 44 फीसदी दिव्यांग बच्चों ने शिकायत की कि वेबीनार में सांकेतिक भाषा का कोई दुभाषिया मौजूद नहीं होता। जबकि 86 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि वे तकनीक का इस्तेमाल करना नहीं जानते और करीब 81 फीसदी शिक्षकों ने कहा कि उनके पास दिव्यांग छात्रों तक पहुंचाने के लिए शिक्षण सामग्री नहीं है।
64 फीसदी दिव्यांग बच्चों के पास घर में स्मार्टफोन या कम्प्यूटर नहीं
सर्वेक्षण में कहा गया है कि शिक्षकों ने यह भी कहा कि 64 फीसदी दिव्यांग बच्चों के पास घर में स्मार्टफोन या कम्प्यूटर नहीं है, 67 फीसदी छात्रों ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन शिक्षा के लिए टैब या कम्प्यूटर की आवश्यकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 74 फीसदी दिव्यांग बच्चों कहा कि उन्हें पढ़ाई के लिए डेटा/वाईफाई की आवश्यकता है, जबकि 61 फीसदी ने सहायक की आवश्यकता बताई।
मौजूदा कोरोना महामारी से दिव्यांग छात्र पीछे रह सकते हैं- श्रुति महापात्रा
इस सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में वैश्विक महामारी कोविड-19 के वक्त नीतिगत बदलावों और आवश्यक संशोधनों की सिफारिश की है। स्वाभिमान की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी श्रुति महापात्रा ने कहा कि सभी दिव्यांग बच्चों को एक समूह में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि उनमें अलग-अलग शारीरिक अक्षमताएं होती हैं और इसलिए उनकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं। श्रुति महापात्रा ने कहा कि मौजूदा कोरोना महामारी से दिव्यांग छात्र पीछे रह सकते हैं, अगर तुरंत उचित कदम नहीं उठाए गए तो शिक्षा और जीवन जीने के उनके अधिकार को अपूर्णीय क्षति हो सकती है।