ग्रीन हाइड्रोजन के साथ गुजरात कर रहा है भविष्य की तैयारी: गुजरात सरकार नई नीति जारी करेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को लेकर गुजरात सरकार पूरी तैयारी के साथ अपने एक्शन प्लान पर काम रही है और अनुमानित दो महीनों के भीतर ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर गुजरात सरकार अपनी पहली ड्राफ्ट पॉलिसी को जारी कर सकती है। गुजरात के ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी को अंतिम रूप देते समय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और इस क्षेत्र से संबंधित सभी आवश्यकताओं को भी केन्द्र में रखा जाएगा।

GUVNL के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “GUVNL, ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा देने और अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए ड्रॉफ्ट पॉलिसी तैयार करने पर काम कर रहा है। हमने 16-24 मई 2023 तक इस सेक्टर के स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक की है जो काफी सफल रही है”।

गुजरात के ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाली GUVNLएजेंसी के वरिष्ठ अभियंता ने बताया कि रिफाइनरिज़ और फर्टीलाइजर्स फैक्ट्रीज में 98% से अधिक हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि गुजरात में इन दोनों सेक्टर से संबंधित उद्योग अधिक हैं इस वजह से यहाँ ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होने से इन उद्योगों की हाइड्रोजन की मांग को पूरा किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के कारण, जीवाश्म ईंधन (प्राकृतिक गैस और कोयले) की खपत में कमी आएगी जिससे न केवल कार्बन उत्सर्जन कम होगा बल्कि इससे हमारी ऑयल इम्पोर्ट डिपेंडिसी भी कम होगी। वर्तमान में इंडस्ट्रीज अपनी औद्योगिक जरुरतों के लिए फॉसिल फ्यूल्स का उपयोग कर ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन करते हैं। राज्य सरकार की योजना है कि गुजरात को ग्रीन हाइड्रोजन की मैन्युफैक्चरिंग का प्रमुख केन्द्र बनाया जाए। ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर गुजरात को लगभग 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश की भी उम्मीद है।

हाल ही में कुछ समय पहले, रिलायंस और अडानी जैसे प्रमुख भारतीय समूह ने राज्य सरकार के साथ क्रमश: ₹5.6 लाख करोड़ और ₹4.13 लाख करोड़ के समझौतों पर हस्ताक्षर करके इस क्षेत्र में ₹10 लाख करोड़ से अधिक के निवेश का वादा किया है। वहीं, आर्सेलर मित्तल और टोरेंट जैसी अन्य कंपनियों ने भी हरित ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों के जरिए सालाना 30 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की उम्मीद है।

कच्छ-बनासकांठा सीमा पर राज्य सरकार द्वारा 1.99 लाख हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। इच्छुक कंपनियों को शुरुआती अवधि में 40 साल की लीज पर जमीन मुहैया कराई जाएगी। गुजरात सरकार ने राज्य की ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में निवेश करने वाले उद्योगों को भूमि आवंटन नीति के तहत कई प्रोत्साहन देने की घोषणा की है-

1. कंपनियों को अपने संयंत्र चालू होने के 5 साल के भीतर अपनी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता को 50% और 8 साल के भीतर 100% पूरा करना होगा

2. कोई भी इकाई/कंपनी प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के लिए भूमि के लिए आवेदन कर सकती है।

3. आवेदक के पास कम से कम 500 मेगावॉट सोलर, विंड और हाइब्रिड उत्पादन का अनुभव होना चाहिए।

4. आवेदक ब्राउन, ग्रे या ब्लू हाइड्रोजन का उपभोक्ता होना चाहिए जिसकी ग्रीन हाइड्रोजन की वार्षिक आवश्यकता 1 लाख मीट्रिक टन या उससे अधिक होनी चाहिए।

5. जमीन का वार्षिक किराया ₹15000 प्रति हेक्टेयर है जो हर तीन साल में 15% बढ़ जाएगा।

6. आवेदक को आवंटित की जाने वाली भूमि को नॉन एग्रीकल्चर जमीन माना जाएगा।

7. किसी भी अन्य संयंत्र की तरह, ग्रीन हाइड्रोज़न प्लांट स्थापित करने के लिए भी भूमि की उपलब्धता, जल संसाधन, निकासी सुविधाएं और पोर्ट कनेक्टिविटी जैसे कारक सहायक होंगे।

इस तथ्य को देखते हुए कि 1 किलो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए 50 से 55 यूनिट RE (रिन्यूएबल एनर्जी) की आवश्यकता होती है, ग्रीन हाइड्रोज़न के बड़े पैमाने पर उत्पादन से गुजरात में अक्षय ऊर्जा की आवश्यकता में काफी बढ़ोतरी होगी। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य की कुल बिजली आवश्यकता 120 बिलियन यूनिट है। गुजरात की लैंड पॉलिसी-2023 में परिकल्पित ग्रीन हाइड्रोज़न के 3 MTPA लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, राज्य की रिन्यूएबल एनर्जी आवश्यकता में 165 बिलियन यूनिट की वृद्धि होगी।

Load More Related Articles
Load More By RN Prasad
Load More In देश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

PM मोदी का बड़ा बयान, कहा- ‘मैं किसी को डराने या चकमा देने के लिए फैसले नहीं लेता, मैं देश के पूरे विकास के लिए फैसले लेता हूं’

इंडियन इकोनॉमी पर बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘जहां तक 2047 विजन …