हरियाणा में जिला परिषद सदस्यों के लिए हुए चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा है। हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा ने जिला परिषद चुनाव में 411 सीटों में से महज 22 सीटें जीत पाई, जबकि आम आदमी पार्टी यानि आप को 15 सीटें मिली हैं, वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों ने जिला परिषद के 350 सीटों को जीतने में कामयाबी हासिल की है। जिला परिषद चुनाव में मतदाताओं ने आखिर बड़ी पार्टियों को क्यों नकार दिया?
BJP को 22 व AAP को 15 मिली सीटें
हरियाणा में जिला परिषद चुनाव के नतीजे आज 29 नवंबर 2022 को आ चुके हैं। जिला परिषद चुनाव में राज्य की कुल 411 सीटों में से 350 पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे हैं, ये तस्वीर तब है जब सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने अपने सिंबल पर उम्मीदवार उतारे थे। मतदाताओं ने बड़े-बड़े राजनीतिक दलों की जगह निर्दलीय उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा किया है। हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा 411 में महज 22 सीटें ही जीत सकी, वहीं आईएनएलडी को 13 सीट पर जीत मिली। पहली बार पंचायत चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने 15 सीटों पर विजय पाई है। हरियाणा के जिला परिषद के इन चुनाव नतीजों को लेकर सबके अपने-अपने दावे हैं, हर दल इन नतीजों की समीक्षा करने में जुटा है। सियासत के जानकार इन नतीजों को बड़े-बड़े राजनीतिक दलों के लिए आंख खोलने वाले बता रहे हैं।
क्यों हारी सत्ताधारी भाजपा?
हरियाणा के जिला परिषद चुनाव में सत्ताधारी भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र समेत 7 सात जिलों में भाजपा ने बहुत ही खराब प्रदर्शन किया। भाजपा नेता पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे गलत उम्मीदवार चयन, खराब चुनाव प्रचार, किसानों से जुड़े मुद्दे के साथ ही त्रिकोणीय मुकाबले को वजह बता रहे हैं। भाजपा नेताओं का ये भी कहना है कि सूबे की सरकार में गठबंधन सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भी खेल खराब किया, जेजेपी के कई बागी नेताओं ने या तो खुद चुनाव लड़ा या फिर किसी दूसरे उम्मीदवार का समर्थन किया, इससे भी चुनाव नतीजों पर नकारात्मक असर पड़ा। गौरतलब है कि इस साल जून में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन जिला परिषद चुनाव से कहीं बेहतर रहा था।
BJP को महंगा पड़ा JJP का फैसला
भाजपा को जिला परिषद चुनाव साथ न लड़ने का जेजेपी का फैसला भी महंगा पड़ा। जेजेपी के कई नेता या तो खुद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए या फिर भाजपा उम्मीदवारों के किसी प्रतिद्वंदी का समर्थन कर दिया। कुरुक्षेत्र में भारी-भरकम धनराशि वाली विकास योजनाएं भी भाजपा की नैया पार नहीं लगा पाईं। अंबाला में भाजपा सांसद नायब सिंह सैनी अपनी पत्नी सुमन सैनी को जीत नहीं दिला पाए। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत समर्थित उम्मीदवार को भी शिकस्त मिली।
BJP के लिए खतरे की घंटी है ये नतीजे
जिला परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ये 2024 के आम और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। जानकार इसे भाजपा के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं। दूसरी तरफ हरियाणा भाजपा के नेता भी शायद इन नतीजों के पीछे छिपे संदेश को बखूबी समझ रहे हैं। हरियाणा भाजपा ने रोहतक में बैठक कर जिला परिषद के नतीजों पर मंथन किया।