
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सुरक्षा गार्डों के साथ मारपीट के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सोमनाथ भारती की 2 साल की कैद की सजा को अदालत द्वारा बरकरार रखते हुए आज जेल भेज दिया गया है।
सोमनाथ की 2 साल की कैद की सजा बरकरार
दिल्ली की राऊज एवेन्यू की सेशन कोर्ट ने आज 23 मार्च को वर्ष 2016 में एम्स के सुरक्षा गार्डों के साथ मारपीट के मामले में आप के विधायक सोमनाथ भारती को सुनाई गई 2 साल की कैद की सजा के आदेश को बरकरार रखते उनकी अपील को आंशिक रूप से खारिज कर दिया। अदालत के आदेश सुनाए जाने के तुरंत बाद सोमनाथ भारती को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। इससे पहले जनवरी, 2021 में अदालत ने विधायक सोमनाथ भारती को सुनाई गई 2 साल की कैद की सजा को निलंबित कर दिया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट की तरफ से 23 जनवरी, 2021 को सुनाई गई सजा के खिलाफ दायर अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश जस्टिस विकास ढल की अदालत ने यह निर्देश दिया था।
सोमनाथ पर एक चारदीवारी को गिराने का आरोप
ध्यान रहे कि राऊज एवेन्यू कोर्ट की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 23 जनवरी, 2021 को सोमनाथ भारती को 2 साल की कैद और 1 लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी। सोमनाथ भारती ने राऊज एवनेयु कोर्ट की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 9 सितंबर, 2016 को सोमनाथ भारती ने करीब 300 अन्य लोगों के साथ एम्स में जेसीबी से एक चारदीवारी को गिरा दिया था। इस मामले में अदालत ने विधायक सोमनाथ भारती को भारतीय दंड संहिता विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया था, जिनमें धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उनके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करना) और 147 (दंगा करना) शामिल है।
आरएस रावत की शिकायत पर दर्ज हुआ था मामला
अदालत ने विधायक सोमनाथ भारती को सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकने की धारा 3 के तहत भी दोषी पाया। इन अपराधों में अधिकतम 5 साल जेल की सजा होती है। इस मामले में अदालत ने सोमनाथ भारती के सहयोगियों व सह-अभियुक्तों जगत सैनी, दिलीप झा, संदीप सोनू और राकेश पांडे को बरी कर दिया था। यह मामला एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आर एस रावत की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था। सोमनाथ भारती ने अदालत से कहा था कि इस मामले में उन्हें झूठा फंसाने के लिए पुलिस अधिकारियों और अन्य गवाहों ने उनके खिलाफ गवाही दी थी।