
देश की राजधानी दिल्ली में आगामी एमसीडी चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी को आज एक बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस पार्टी के सीनियर लीडर और 5 बार के पार्षद मुकेश गोयल दिल्ली में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकेश गोयल आप में शामिल
दिल्ली में आगामी एमसीडी चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी को आज 27 नवंबर को एक बार फिर उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता मुकेश गोयल अपने समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए। इनके आलावा कई अन्य कांग्रेसी नेता भी आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज ‘आप’ मुख्यालय में कांग्रेस के बड़े नेता मुकेश गोयल का आम आदमी पार्टी में स्वागत किया। मुकेश गोयल 5 बार पार्षद रह चुके हैं और एआईसीसी के मेंबर हैं, वह कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते थे।
योगानंद शास्त्री ने एनसीपी का दामन थामा था
इससे पहले दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री ने एनसीपी का दामन थाम लिया था। योगानंद शास्त्री ने 2020 में ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। योगानंद शास्त्री 2008 से 2013 तक दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं। योगानंद शास्त्री ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था, उन्होंने उस समय कहा था कि प्रदेश कांग्रेस की कमान ऐसे व्यक्ति के पास है जो किसी का सम्मान नहीं करता और ऐसे लोगों से घिरा है जो विधानसभा चुनाव के टिकट बेचने में लिप्त है।
2022 में होंगे दिल्ली नगर निगम के चुनाव
गौरतलब है कि 272 वार्ड वाले 3 दिल्ली नगर निगमों के चुनाव में अब बस कुछ महीनें शेष बचे हैं, दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2022 में होंगे। साल 2007 से लगातार दिल्ली के सभी नगर निगमों पर काबिज भाजपा ने 2017 के पिछले चुनावों में 181 वार्डों में जीत हासिल की थी। ध्यान रहे कि 2012 में एमसीडी को 3 भागों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में बांट दिया गया था। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) में जहां 104-104 वार्ड हैं, वहीं पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में 64 वार्ड हैं। एमसीडी तीन भागों में बांटने के कदम के पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह प्रशासन को सरल बनाएगा और दिल्लीवासियों को बेहतर नागरिक सेवाएं प्रदान करेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं हुआ।