मरीजों को जाली कोरोना टेस्ट रिपोर्ट देने वाला डॉक्टर व उसका साथी गिरफ्तार…जानिए

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना काल में भी अपने फायदे के लिए कुछ जालसाजों द्वारा मरीजों को लूटने का धंधा लगातार जारी है। ये लोग जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा करके न केवल मरीजों को ठग रहे हैं, बल्कि बीमारी को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।

जाली कोरोना टेस्ट रिपोर्ट देने वाला डॉक्टर गिरफ्तार

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना काल में भी अपने फायदे के लिए कुछ जालसाजों द्वारा मरीजों को लूटने का धंधा लगातार जारी है। ये लोग जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा करके न केवल मरीजों को ठग रहे हैं, बल्कि बीमारी को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। दिल्ली में लोगों को जाली कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट देने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने आज यानि 4 सितंबर को एक डॉक्टर और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान मालवीय नगर निवासी 34 वर्षीय डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर और उसके सहयोगी अमित सिंह के रूप में हुई है।

नाम में गलती से खुला जालसाजी का राज

जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट की जालसाजी के बारे में उन्हें एक प्रतिष्ठित टेस्टिंग लेबोरेट्री से शिकायत मिली थी, जिसके बाद दिल्ली के हौज खास थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 30 अगस्त को एक व्यक्ति, जो मरीजों को नर्सिंग स्टाफ प्रदान करने का व्यवसाय चलाता है, उसने डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर से अपने दो नर्सिंग स्टाफ की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट मांगी थी। डॉ. पाराशर ने रिपोर्टों में जालसाजी कर उन्हें व्यवसायी को भेज दिया, जिसके व्यवसायी ने अपने ग्राहक को उनके मोबाइल पर रिपोर्ट भेज दी। अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट में नाम में गलती पाए जाने पर ग्राहक ने डायग्नोस्टिक सेंटर से संपर्क किया और नई रिपोर्ट मांगी।

डॉ. पाराशर मरीजों को कोरोना टेस्ट की सलाह देता था

मरीजों की डिटेल की पुष्टि करने पर डायग्नोस्टिक सेंटर को पता चला कि उनके रिकॉर्ड में ऐसा कोई मरीज मौजूद नहीं है, बाद में इस संबंध में हौज खास थाने में मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। दक्षिण दिल्ली के डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि डॉ. पाराशर उनके पास इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कोविड-19 टेस्ट कराने की सलाह देते थे और इसके लिए सैंपल भी एकत्र करते थे, इसके बाद वह अमित सिंह की मदद से मरीजों की मनचाही लेबोरेट्री या किसी अन्य लेबोरेट्री की जाली टेस्ट रिपोर्ट बनाते थे।

टेस्ट रिपोर्ट पीडीएफ फॉर्मेट में तैयार की गई थी

डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि टेस्ट रिपोर्ट कंप्यूटर पर पीडीएफ फॉर्मेट में तैयार की गई थी और मरीजों को वॉट्सऐप पर भेजी गई थी, जाली और सही रिपोर्ट के बीच अंतर करना मुश्किल था। डॉ. पाराशर ने स्वीकार किया कि उन्होंने CRL डायग्नोस्टिक्स लैब, मॉडर्न डायग्नोस्टिक्स एंड रिसर्च सेंटर, डॉ. पी भसीन पैथलैब्स (पी) लिमिटेड और प्रोग्नोसिस लैबोरेट्रीज जैसे डायग्नोस्टिक सेंटरों के नाम का उपयोग कर 75 से अधिक मरीजों को जाली कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट दी थीं। डॉ. पाराशर ने बताया कि वह पिछले ढाई महीने से यह फर्जीवाड़ा कर रहा था और मरीजों से प्रति टेस्ट 2400 रुपए लेता था।

लक्षणों के मुताबिक रिपोर्ट तैयार की जाती थी

कोरोना निगेटिव या पॉजिटव का निर्धारण करने के लिए कोई विशेष मानदंड नहीं था। मरीज के लक्षणों के मुताबिक रिपोर्ट तैयार की जाती थी और सैंपल को नष्ट कर दिया जाता था। पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है और इस गिरोह में शामिल अन्य लोगों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

Load More Related Articles
Load More By RN Prasad
Load More In नोएडा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश में ‘संभल मस्जिद’ की जगह ‘विवादित ढांचा’ लिखा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को संभल के शाही जामा मस्जिद से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कीR…