कूनो नेशनल पार्क में चीते छोड़ने के बाद PM मोदी ने कहा- ‘देश नई ऊर्जा के साथ चीतों को बसाने में जुटा’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से 3 को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बने क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा, बाकी के चीतों को वन अधिकारियों द्वारा छोड़ा गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरा देश नई ऊर्जा के साथ चीतों को बसाने में जुट गया है।

मोदी ने चीतों को कूनो पार्क में छोड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 17 सितंबर को जन्मदिन है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया से आए 8 चीतों में से 3 को मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में बने क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ दिया है, इसके बाद बाकी के चीतों को भी वन अधिकारियों द्वारा छोड़ दिया गया। इन सभी 8 चीतों की 1 महीने तक निगरानी की जाएगी और सबकुछ ठीक रहने पर इन्हें मुख्य वन में छोड़ दिया जाएगा। इन 8 चीतों में 5 नर और 3 मादा हैं। इसके साथ ही 74 साल बाद भारत में चीतों की आवाज सुनाई देगी। इन चीतों को विशेष विमान के जरिए नामाबिया से ग्वालियर एयरपोर्ट लाया गया था, यहां से चिनूक हेलिकॉप्टर से इन्हें कूनो नेशनल पार्क ले जाया गया।

ये चीते मेहमान बनकर आए हैं- मोदी
इस दौरान राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीतों के पुनर्वास के लिए पूरा देश नई ऊर्जा के साथ जुट गया है। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा, आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं, कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा।

कुनो पार्क में चीते फिर से दौड़ेंगे- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है, ये बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है, विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। उन्होंने कहा कि कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर (restore) होगा, बायोडायवर्सिटी (biodiversity) और बढ़ेगी।

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