‘42000 करोड़ रुपए का घोटाला’ केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 119 एफआईआर का किया एक में विलय

देश की सर्वोच्च अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ने आज 42000 करोड़ रुपए का घोटाला केस मामले में एक बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 119 एफआईआर का एक में विलय कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने किया 119 FIR का एक में विलय
सुप्रीम कोर्ट ने आज 22 मई 2022 को अपनी विशेष शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश में हुए 42000 करोड़ रुपए के ‘बाइक बोट’ और ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ घोटाले में दर्ज 119 एफआईआर को एक ही एफआईआर में विलय कर दिया है। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद अब पहली दर्ज एफआईआर संख्या 206/2019 पीएस-दादरी, जिला- गौतमबुद्ध नगर, यूपी में ही अन्य सभी 118 एफआईआर को समेकित कर दिया गया है। ध्यान रहे कि बाइक बोट और ग्रैंड वेनिस मॉल घोटाले में उत्तर प्रदेश में 118 और दिल्ली में 1 एफआईआर दर्ज हुई थी।

अब सभी FIR की सुनवाई ग्रेटर नोएडा कोर्ट में होगी
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब बाइक बोट और ग्रैंड वेनिस मॉल घोटाले में दर्ज की गई सभी एफआईआर की सुनवाई ग्रेटर नोएडा कोर्ट में ही होगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जे बी परदीवाला ने अपना निर्णय देते हुए कहा कि सभी एफआईआर में अपराध की प्रकृति और शिकायत एक जैसी होने कारण कार्रवाइयों की बहुलता व्यापक जनहित में नहीं है। अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है।

मोंटी भसीन मालिक है ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ का
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले बाइक बोट घोटाले के आरोपी सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटी भसीन और दिनेश पांडे को 2020-21 में सभी एफआईआर में नियमित जमानत दे दी थी, यह जमानत इस अधार पर दी गई थी कि दोनों आरोपियों का नाम न तो एफआईआर में था और न ही मेसर्स गारविट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक, पदाधिकारी या प्रबंधकों की सूची में, जिनके द्वारा बाइक-बोट योजना शुरू की गई थी। दरअसल, सतेंद्र भसीन उर्फ मोंटू ग्रेटर नोएडा के निर्माणाधीन ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ का मालिक है, उसके घोटाले में फंसने के बाद से ही यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है।

क्या था ‘बाइक बोट घोटाला’
संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम से साल 2010 में कंपनी बनाई थी, इसके बाद साल 2018 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की, स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई, इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62200 रुपए का निवेश कराया गया। उसके एवज में 1 साल तक 9765 रुपए देने का वादा किया गया, निवेश करने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें पैसे नहीं दिए गए, बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने केस कराने शुरू किए। संजय भाटी और अन्य आरोपियों पर आरोप है कि इन्होंने बाइक बोट स्कीम में निवेश के जरिए मोटे मुनाफे का लालच देकर लाखों लोगों से ठगी की। इस कंपनी के नाम पर लोगों को बाइक टैक्सी में निवेश का ऑफर दिया गया था, इसके तहत 42000 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की गई और फिर सभी आरोपी फरार हो गए।

मोंटी भसीन व दिनेश पांडेय को मिली थी जमानत
इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी संजय भाटी और बीएन तिवारी समेत कुल 26 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जिनमें से 2 आरोपी मोंटी भसीन और दिनेश पांडेय को जमानत मिल चुकी है तथा अन्य 24 आरोपी गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी संजय भाटी की पत्नी दिप्ती बहल समेत 4 अन्य अब भी फरार हैं, बिजेंद्र हुड्डा इस समय भारत से बाहर है इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है।

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