झारखंड से एक बड़ी खबर आ रही है। चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से कर दी है।
हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता जाएगी!
चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राज्यपाल को भेज दी है। चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री सोरेन के अवैध खनन मामले से तार जुड़े होने के आरोप में ये कड़ा कदम उठाया है। ध्यान रहे कि राज्यपाल रमेश बैस अभी दिल्ली में है और वह आज 25 अगस्त के दोपहर बाद रांची लौटेंगे, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि विधानसभा सदस्यता रद्द होने पर क्या हेमंत सोरेन अपने पद पर बने रहेंगे या उनकी कुर्सी जा सकती है।
हेमंत की सदस्यता रद्द होने पर क्या हो सकता है?
यदि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त होती है तो यूपीए द्वारा उन्हें एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना जा सकता है, इस आधार पर फिर से हेमंत सोरेन राज्य के सीएम बन जाएंगे, इतना ही नहीं अगले 6 महीने के भीतर ही दोबारा चुनाव जीतकर विधायक भी बन जाएंगे। हालांकि हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी जाने पर झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को मुख्यमंत्री पद के लिए नए नेता का चुनाव करना पड़ सकता है, इन सबके बीच ये भी चर्चा चल रही है कि सदस्यता जाने के बाद हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को झारखंड का नया सीएम बना सकते हैं।
क्या है हेमंत सोरेन का पूरा मामला
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शर्मा ने 2 पीआईएल दायर की थी और सीबीआई और ईडी से माइनिंग घोटाले की जांच कराने की मांग की थी। ये मामला सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनियों में उनके और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है। आरोप है कि सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन क्यूएरी माइंस अपने नाम आवंटित करवा ली थी। सोरेन परिवार पर शैल कंपनी में इन्वेस्ट कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप है, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने भी सुनवाई की थी, दोनों ने जनप्रतिनिधि अधिनियम-1951 की धारा 9A के तहत लाभ का पद से जुड़े नियमों के उल्लंघन को लेकर सुनवाई की थी, अब ये सुनवाई पूरी हो चुकी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।