
कुतुब मीनार को लेकर छिड़े विवाद के बीच कुतुब मीनार के ऐतिहासिक परिसर में खुदाई की जाएगी। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि कुतुब मीनार में मूर्तियों की ईकोनोग्राफी कराई जाए। एक रिपोर्ट के आधार पर कुतुब मीनार परिसर में खुदाई का काम किया जाएगा, इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
कुतुब मीनार परिसर में दिए गए खुदाई के निर्देश
दिल्ली की साकेत कोर्ट में सुनवाई से पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पुरातत्व विभाग से कुतुब मीनार कॉम्प्लेक्स की खुदाई करने के लिए कहा है तथा कुतुब मीनार में मूर्तियों की ईकोनोग्राफी कराई जाए। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इसकी रिपोर्ट भी मांगी है। साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 24 मई 2022 को होनी है। यूनाइटेड फ्रंट की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को हिन्दू और जैन धर्म के 27 मंदिर को तोड़कर बनाया गया है, ऐसे में वहां फिर से मूर्तियां स्थापित की जाए और पूजा करने की इजाजत दी जाए।
कुतुब मीनार परिसर का किया गया निरीक्षण
केंद्रीय संस्कृति सचिव ने अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने के बाद यह फैसला लिया है। लिहाजा कुतुब मीनार के साउथ में और मस्जिद से 15 मीटर दूरी पर खुदाई का काम शुरू किया जा सकता है। दरअसल, कुतुब मीनार ही नहीं, अनंगताल और लालकोट किले पर भी खुदाई का काम किया जाएगा। कुतुब मीनार परिसर में खुदाई के निर्णय से पहले केंद्रीय संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने 12 लोगों की टीम के साथ निरीक्षण किया, इस टीम में 3 इतिहासकार, एएसआई के 4 अधिकारी और रिसर्चर मौजूद थे। इस मामले में एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि कुतुब मीनार में साल 1991 के बाद से खुदाई का काम नहीं हुआ है।