जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना यानि जस्टिस एन वी रमना आज भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। अल्पभाषी और सौम्य स्वभाव के जस्टिस एन वी रमना का सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यकाल करीब 16 महीने का होगा।
जस्टिस एन वी रमना ने ली CJI के रूप में शपथ
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज 24 अप्रैल के सुबह 11 बजे राष्ट्रपति भवन में जस्टिस एन वी रमना को सुप्रीम कोर्ट के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित रहे। ध्यान रहे कि जस्टिस एन वी रमना ने इस पद जस्टिस एस ए बोबडे का स्थान लिया है, जस्टिस एस ए बोबडे 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए थे।
जस्टिस एन वी रमना ने कई चर्चित फैसले दिए
पिछले कुछ सालों में जस्टिस एन वी रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी जस्टिस एन वी रमना ने ही की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस एन वी रमना सदस्य रह चुके हैं। जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी, इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था। 26 नवंबर 2019 को जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने तत्कालिन महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था, इसके बाद देवेंद्र फड़णवीस सरकार गिर गई थी।
दिल्ली HC के चीफ जस्टिस भी रहे थे जस्टिस रमना
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस एन वी रमना ने किशोर आयु में ही तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लिया तथा वह कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे व कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। जस्टिस एन वी रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहने के अलावा केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रह चुके हैं। जस्टिस एन वी रमना साल 2000 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने तथा साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।