
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को अदालत ने भगौड़ा घोषित कर दिया है। अदालत ने यह कार्रवाई वसूली के एक मामले में की है, परमबीर सिंह इस मामले में पूछताछ से भी बचते रहे हैं।
अदालत ने परमबीर सिंह को भगौड़ा घोषित किया
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को अदालत ने आज 17 नवंबर को भगौड़ा घोषित कर दिया है। सरकारी वकील शेखर जगताप ने बताया कि कोर्ट में उनकी एप्लिकेशन को इजाजत दी गई है। शेखर जगताप ने बताया कि मुंबई की एस्प्लेनेड कोर्ट ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगौड़ा अपराधी घोषित करने के मुंबई पुलिस के आवेदन को स्वीकार कर लिया है।
परमबीर सिंह की संपत्ति जब्त भी हो सकता है
इस मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी परमबीर सिंह को ‘फरार घोषित’ किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत अदालत द्वारा उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने पर आरोपी को हाजिर होने की आवश्यकता होती है अगर उसके खिलाफ जारी वारंट की तामील नहीं हो पाई है तो धारा 83 के तहत उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने के बाद अदालत एक आरोपी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकता है।
विनय सिंह और रियाज भट्टी भी फरार घोषित
गोरेगांव थाने में दर्ज मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे भी आरोपी हैं। परमबीर सिंह के अलावा सह आरोपी विनय सिंह और रियाज भट्टी को भी अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपले ने ‘फरार घोषित’ किया है। ध्यान रहे कि रियल एस्टेट डेवलपर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने 2 बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे 9 लाख रुपए की वसूली की, उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं।
बिमल अग्रवाल ने की थी शिकायत
बिमल अग्रवाल की शिकायत के बाद 6 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 385 (दोनों जबरन वसूली से संबंधित) और 34 (समान मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। परमबीर सिंह के खिलाफ ठाणे में भी वसूली का मामला दर्ज है। इस मामले में सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह को मार्च 2021 में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था।