केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा देने से वंचित रह गए कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का एक अतिरिक्त मौका देने के फैसले से निगेटिव प्रभाव पड़ेगा।
अतिरिक्त मौका से पड़ेगा निगेटिव प्रभाव
केंद्र सरकार ने आज 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी के चलते यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा, 2020 देने से वंचित रह गए कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का एक अतिरिक्त मौका देने के फैसले का व्यापक प्रभाव पड़ेगा, यह सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली के समग्र कामकाज और आवश्यक एक समान अवसर के लिए भी हानिकारक होगा, इससे निगेटिव प्रभाव पड़ेगा। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि जो अभ्यर्थी कोरोना के चलते यूपीएससी की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2020 नहीं दे पाए थे और जिनका परीक्षा में बैठने का आखिरी मौका खत्म हो चुका है उन्हें एक और मौका दिया जाए।
केंद्र सरकार ने दायर किया हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका या आयु में रियायत देना परीक्षा में बैठने वाले दूसरे अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव होगा। केंद्र सरकार ने 22 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि वह अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका देने के पक्ष में नहीं है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 25 जनवरी तक हलफनामा दायर करने को कहा था, इसके बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अवर सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दायर किया गया। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच में इस मामले की सुनवाई आज होनी थी, लेकिन जस्टिस खानविल्कर की बेंच ने इस मामले की सुनवाई 28 जनवरी तक टाल दी।