
सुपरस्टार रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दादा साहेब फाल्के अवार्ड लेने के बाद रजनीकांत ने अवॉर्ड को अपने कुछ करीबी लोगों के साथ ही ट्रांसपोर्ट बस ड्राइवर दोस्त को भी समर्पित किया।
रजनीकांत को मिला दादा साहब फाल्के पुरस्कार
दिल्ली के विज्ञान भवन में आज 25 अक्टूबर को 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया जिसमें सुपरस्टार रजनीकांत को फिल्म इंडस्ट्री में पांच दशकों से उनके शानदार योगदान के लिए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। रजनीकांत को 51वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के अवसर पर विज्ञान भवन में मौजूद सभी लोगों ने रजनीकांत के सम्मान में खड़े होकर तालियां बजाईं।
रजनीकांत ने गुरू-भाई-दोस्त को समर्पित किया अवॉर्ड
दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद रजनीकांत ने इसके लिए भारत सरकार का धन्यवाद कहा। रजनीकांत ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे इस पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए मैं भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, मैं यह पुरस्कार अपने गुरू के. बालचंदर, पिता तुल्य अपने भाई सत्यनारायण राव और अपने ट्रांसपोर्ट ड्राइवर दोस्त राजबहादुर को समर्पित करता हूं।
दोस्त के कहने के बाद सिनेमा में आए थे रजनीकांत
ध्यान रहे कि अपने ट्रांसपोर्ट ड्राइवर दोस्त राजबहादुर कहने के बाद रजनीकांत ने सिनेमा की तरफ रुख किया था। रजनीकांत बीते पांच दशक से सिनेमा पर राज कर रहे हैं, वह अभी भी सिनेमा में एक्टिव हैं। रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। रजनीकांत 5 साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया, मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई, रजनीकांत के लिए भी घर चलाना इतना आसान नहीं था, उन्होंने घर चलाने के लिए कुली तक का काम किया।
सिनेमा में आने से पहले बस कंडक्टर थे रजनीकांत
रजनीकांत फिल्मों में आने से पहले बस कंडक्टर की नौकरी करते थे। रजनीकांत ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंदर की फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से एंट्री ली थी। दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत की हीरो बनाने का श्रेय बालाचंदर को ही जाता है। दादा साहब पुरस्कार लेते हुए रजनीकांत ने कहा कि उन्हें दुख है कि बालाचंदर इस पल को देखने के लिए उनके साथ नहीं है, रजनीकांत बालाचंदर को अपना गुरु मानते हैं।
रजनीकांत ने 1983 में रखा था बॉलीवुड में कदम
रजनीकांत ने साल 1983 में बॉलीवुड में कदम रखा था। रजनीकांत की पहली हिंदी फिल्म अंधा कानून था, रजनीकांत ने इसके बाद सिर्फ तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं। रजनीकांत आज दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार कहे जाते हैं। रजनीकांत को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला है।