
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर आज एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि राजद्रोह कानून पर दोबारा विचार करें और जब तक इस पर पुनर्विचार नहीं हो जाता है तब तक इस कानून के तहत नए मुकदमा दर्ज नहीं करें।
भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए पर फिलहाल रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आज 11 मई 2022 को राजद्रोह कानून यानि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए पर फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम ने आज सुनवाई के दौरान साफतौर पर कहा कि केंद्र सरकार इस पर दोबारा विचार करें और जब तक इस पर पुनर्विचार नहीं हो जाता है तब तक राजद्रोह कानून के तहत राज्य और केंद्र सरकार इस धारा के तहत कोई नया केस दर्ज नहीं करें, इसके साथ ही जिन लोगों पर राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं वे जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में देशद्रोह कानून पर रोक लगाते हुए फैसला सुनाया कि देशद्रोह कानून के तहत कोई नई प्राथमिकी (FIR) तब तक दर्ज नहीं की जाए, जब तक कि केंद्र सरकार इस ब्रिटिश-युग के कानून के प्रावधानों की फिर से जांच नहीं करता, जिसे भारत में चुनौती दी गई है, अब प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई 2022 में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने आदेश सुनाते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कहा कि वो राजद्रोह कानून (Sediton Law) के तहत एफआईआर दर्ज करने से परहेज करें, जब तक केंद्र सरकार इस कानून की समीक्षा नहीं कर लेती है, तब तक इस कानून का इस्तेमाल करना ठीक नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून फिलहाल निष्प्रभावी रहेगा, हालांकि जो लोग पहले से इसके तहत जेल में बंद हैं, वो राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकेंगे।
राजद्रोह कानून पर रोक न लगाएं- तुषार मेहता
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार ब्रिटिश काल के कानून की फिर से जांच नहीं करता तब तक देशद्रोह कानून के प्रावधान पर रोक लगाना सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है। तुषार मेहता ने यह भी बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया है और उसके मुताबिक, राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश होगा कि पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी की मंजूरी के बिना राजद्रोह संबंधी धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।