देश में कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं तथा मुसीबतों पर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वत: संज्ञान लिया
देश में कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं तथा मुसीबतों पर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई, 2020 के लिए सूचीबद्ध किया है तथा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सहयोग करने को कहा है।
केंद्र तथा राज्य सरकारों की ओर से कमियां रही है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों की ओर से कमियां रही हैं, प्रवासी मजदूरों को आवास, भोजन तथा यात्रा की सुविधा देने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। ध्यान रहे कोरोना के कारण 25 मार्च से लागू देशव्यापी लॉकडाउन के चलते लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर उन राज्यों में फंस गए थे, जहां वह काम करने गए थे, आय तथा भोजन का कोई साधन न होने के चलते प्रवासी मजदूरों ने अपने घर जाने के लिए पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर निकल गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बाद में केंद्र सरकार ने इन मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन तथा बस सुविधा संचालित करने का फैसला किया था। अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं सामने आई हैं, कहीं गर्भवती महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया तथा उसके कुछ घंटे बाद ही फिर यात्रा शुरू कर दी, वहीं कुछ मजदूरों की ट्रेन के नीचे आ जाने से हुई मौत ने भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।