पश्चिम बंगाल ने पास किया विधेयक, राज्यपाल की जगह अब CM ममता बनर्जी होंगी यूनिवर्सिटी की चांसलर

पश्चिम बंगाल सरकार ने आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यूनिवर्सिटीज की चांसलर बनाने के बिल को पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित कर दिया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा के इस कदम के बाद अब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल रहा विवाद और गहरा हो गया है।

बिल के पक्ष में 182 वोट तथा विरोध में 40 वोट पड़े
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह सीएम ममता बनर्जी को राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर बनाने के लिए विधेयक पारित किया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने आज 13 जून 2022 को राज्यपाल के स्थान पर 31 राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के मुख्यमंत्री को चांसलर बनाने की मांग करते हुए एक विधेयक पेश किया था, जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने प्रस्तावित कानून को रोकने के लिए भरपूर विरोध प्रदर्शन किया। बिल के पक्ष में 182 वोट और विरोध में 40 वोट पड़े, जिसके बाद विधानसभा में बिल पारित हो गया। इस दौरान विधानसभा में विपक्ष और पक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई,. इससे पहले विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और 6 अन्य भाजपा विधायकों, जिन्हें अनुशासनात्मक आधार पर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया था, उसने विधेयक और उन पर प्रतिबंध के खिलाफ सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

राज्यपाल केंद्र सरकर को बिल भेजेंगे- सुवेंदु अधिकारी
सुवेंदु अधिकारी ने कहा हम देखेंगे कि सरकार विधेयक को कैसे पारित करती है, हम बाहर बैठे हैं लेकिन भाजपा के अन्य विधायक बहस के दौरान इसकी वैधता को चुनौती देंगे, यहां तक कि अगर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अपनी ताकत के कारण इसे पारित करने का प्रबंधन करती है, तो राज्यपाल निश्चित रूप से केंद्र सरकर को बिल भेजेंगे क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है।

क्या बोले टीएमसी विधायक मदन मित्रा
वहीं तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा ने कहा कि प्राइमरी विद्यालय शायद सेकेंडरी बन गया, सीएम ममता बनर्जी 5 साल और पहले आती तो बंगाल का हाल बदल जाता, ये राज्यपाल कुछ नहीं करते हैं, खाली पैसे लेते और राजस्थान और दिल्ली जाकर बंगाल को अपशब्द कहते हैं, बंगाल के आदमी के टैक्स के पैसों से दार्जिलिंग में घूमते हैं। ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल के 294 सदस्यीय सदन में टीएमसी के 217 सदस्य हैं, जबकि भाजपा के 70 सदस्य हैं।

मुख्यमंत्री और राज्यपाल में चल रही थी खींचतान
ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने 6 जून 2022 को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच चल रही खींचतान के बाद ये कदम उठाया गया है। खबरों के मुताबिक, राज्यपाल धनखड़ ने पहले ये आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने उनकी सहमति के बिना कई कुलपति नियुक्त किए हैं।

टीएमसी द्वारा किया गया गुजरात का जिक्र
इससे पहले तमिलनाडु और गुजरात ने राज्य सरकारों को राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त करने का अधिकार देने वाला कानून पारित किया है, लेकिन राज्यपाल चांसलर के रूप में बने रहते हैं। गुजरात ने 2015 में ऐसा करने के 7 साल बाद तमिलनाडु ने अपना कानून अप्रैल 2022 में पारित किया था। ये मुद्दा पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चैटर्जी ने भी विधानसभा में उठाया और सवाल किया कि जो भाजपा गुजरात में इस कानून को पारित करती है, वो बंगाल में इसका विरोध कैसे कर सकती है।

धनखड़ ने भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने की चाल बताया
दरअसल, 29 मई 2022 को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस कानून को एक स्कूल भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने के लिए एक चाल बताया था, जिसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के मुताबिक जांच कर रही है। जगदीप धनखड़ ने कहा था कि सरकार विधेयक को आसानी से पारित नहीं कर पाएगी, कुलाधिपति (Chancellor) कौन बनता है और क्या राज्यपाल की भूमिका को कम किया जा सकता है, ये ऐसी चीजें हैं जिनकी मैं जांच करूंगा, जब कागजात मेरे पास आएंगे, भर्ती घोटाले में जो कुछ हो रहा है, उससे ध्यान हटाने के लिए यह एक चाल है, मीडिया ऑप्टिक्स उत्पन्न करने की रणनीति है, यह सभी घोटालों की जननी है।

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