
रामचरितमानस पर विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आए बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने ‘तेजस्वी बिहार’ का नारा देकर महागठबंधन की सरकार में सहयोगी जेडीयू को चिढ़ा दिया है। प्रो.चंद्रशेखर द्वारा दिए गए इस नारे का सियासी अर्थ हैं।
चंद्रशेखर ने तेजस्वी की बड़ाई में पढ़े कसीदे
बिहार के शिक्षामंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर अपने बयानों से चर्चा में बने हुए हैं। मधेपुरा से तीसरी बार विधायक और महागठबंधन सरकार में दूसरी बार मंत्री बने चंद्रशेखर ने अपने नेता व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बड़ाई में कसीदे पढ़े हैं, लेकिन उनके शब्दों के अर्थ कतई वो नहीं हैं, इन शब्दों के राजनीतिक निहितार्थ हैं। रामायण पर विवादित बयान को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्र में आए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने इस बार तेजस्वी यादव को अभी से मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर ‘तेजस्वी बिहार’ का नया नारा दे दिया है।
चंद्रशेखर के बयान से जेडीयू असहज
‘तेजस्वी बिहार’ के इस नए नारे से बिहार में एनडीए के साथ चले आ रहे गठबंधन को तोड़कर आरजेडी के महागठबंधन के साथ हाथ मिलाकर राज्य में सरकार बनाने वाली पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) यानि जेडीयू के नेता परेशान हैं। जाहिर है जेडीयू के नेता इस नारे को सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अपमान के रूप देख रहे हैं। यहां ये बात उल्लेखनीय है कि विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्रीधारी शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी 2023 को जब रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें इस तरह के बयान से परहेज करने को कहा था। बताया जाता है कि जिस समय अपने मंत्री को मुख्यमंत्री यह सलाह दे रहे थे उस समय आरजेडी नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे, तेजस्वी यादव ने इस पर चुप्पी साध ली थी, उन्होंने आरजेडी कोटे से शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर को कुछ नहीं कहा, बताया जा रहा है कि ये बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खटकी थी।
तेज प्रताप ने भी साध ली थी चुप्पी
तेजस्वी यादव ने ही नहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के दूसरे बेटे तेज प्रताप यादव ने भी इस पर चुप्पी साध ली थी और उन्होंने इस विवाद पर यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था कि यह धार्मिक मामला है, हम इस पर कुछ नहीं कहेंगे।
आखिर क्या देना चाहते हैं संदेश
आरजेडी के वोट बैंक पर यदि नजर डाली जाए तो लालू प्रसाद जब वर्ष 1990 में सत्ता में आए तब से उन्होंने खुद को पिछड़ों के नेता के रूप में अपनी छवि बनाई, इसके लिए उन्होंने ‘भूराबाल साफ करो’ जैसा विवादित नारा दिया, ये नारा बिहार की अगड़ी और साधन संपन्न जातियां भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला यानि कायस्थ समाज को साफ करने को लेकर दिया गया था। जाहिर है इस नारे ने लालू यादव के पिछड़ों और वंचितों के नेता की छवि को और मजबूती दी। आरजेडी की सवर्ण जातियों के उसी विरोध के बल पर राजनीतिक रूप से दलितों और पिछड़ों को एकजुट करने में कामयाब रही थी और 15 साल सत्ता के केंद्र में रही। आरजेडी नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान को उसी की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
तेजस्वी यादव बदल रहे छवि
लालू यादव-राबड़ी देवी के शासनकाल में आरजेडी की ‘सवर्ण विरोधी’ जो छवि बनी थी उसे तेजस्वी यादव ने बदलने का काम किया है। बिहार में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह राजपूत समाज से आते हैं। वहीं तेजस्वी यादव परशुराम जयंती समारोह में भाग लेकर और विधान परिषद में भूमिहार समाज को साधने की कोशिश की। पिछले साल आरजेडी ने 5 भूमिहार नेताओं को विधान परिषद का टिकट दिया जिनमें 3 जीत कर विधान परिषद पहुंचे। ब्राह्मण में डॉ. मनोज झा राज्यसभा में आरजेडी के टिकट से ही पहुंचे हैं, पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी आरजेडी सत्ता से दूर रहा इसका प्रमुख कारण सवर्ण जातियों की आरजेडी से नाराजगी को माना जाता है। तेजस्वी यादव के आने के बाद आरजेडी की छवि तेजी से बदली है, अब भाजपा या जेडीयू को वोट देना सवर्णों की मजबूरी नहीं है।
जेडीयू का खिसकता जनाधार!
जेडीयू नेता नीतीश कुमार के वोट बैंक पर नजर डाली जाए तो बिहार में लव-कुश की यानि कुर्मी-कोइरी के वोट बैंक के साथ भाजपा से नाराज अगड़ों का वोट बैंक भी है। नीतीश कुमार के विकास पुरुष वाली सौम्य और बेदाग छवि का भी योगदान है। जाहिर है नीतीश कुमार अपने वोटबैंक को इस तरह हाथ से जाने देना नहीं चाहेंगे, नीतीश कुमार नहीं तो उनकी पार्टी के कुछ नेता आगे आएंगे और इस चंद्रशेखर के बयान की आलोचना करेंगे, जैसे उपेंद्र कुशवाहा ने रामचरितमानस वाले बयान पर किया।
ये है जातीय समीकरण
जातीय समीकरण को देखा जाए तो बिहार में करीब 14 फीसदी वोटर यादव जाति हैं, यादव 26 फीसदी ओबीसी में आते हैं, 26 फीसदी अति पिछड़े हैं, आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक यादव ही हैं। पिछड़े वर्ग में 8 फीसदी कुशवाहा और 4 फीसदी कुर्मी हैं, ये नीतीश कुमार का बेस वोट बैंक है, इनके अलावा बिहार का 16 फीसदी मुसलमानों का है, जो मुस्लिम यादव के जोड़ को माय समीकरण बनाता है। मुस्लिम नीतीश कुमार से इस वजह से दूर रहे कि भाजपा के साथ इन्होंने गठबंधन कर लिया, ऐसी स्थिति में इस सियासी समीकरण में आरजेडी भारी दिखता है। बिहार में सवर्ण जातियां करीब 17 फीसदी हैं।
RJD में परंपरा है गुणगान कर पद पाने की
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने नेता तेजस्वी यादव की बड़ाई में तेजस्वी बिहार का नारा देने वाले पहले नेता नहीं हैं, इससे पहले बिहार में लालू चालीसा लिखा गया था,1990 के दशक में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद की शान में ब्रह्मदेव आनंद पासवान ने ‘लालू चालीसा’ लिखी थी, तब आलोचकों ने उसे चाटुकारिता की पराकाष्ठा कहा था लेकिन लालू यादव ने ब्रह्मदेव आनंद पासवान से खुश होकर उन्हें राज्यसभा का सदस्य बना दिया था, चंद्रशेखर के ‘तेजस्वी बिहार’ को उसी कड़ी में देखा जा रहा है।