
तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए लाया गया कृषि कानून वापसी विधेयक, 2021 दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गया है। बिना चर्चा के ही बिल दोनों सदनों में पारित हो गया। विपक्ष इस विधेयक पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने इस पर चर्चा को निरर्थक बताया।
कृषि कानून वापसी बिल पर संसद की मुहर
संसद के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन आज 29 नवंबर को भारी हंगामे के बीच लोकसभा में कृषि कानून वापसी बिल पाल होने के बाद केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कृषि कानून वापसी बिल पेश किया गया है। विपक्ष के हंगामे के बीच 3 विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही राज्यसभा से पास करा लिया गया, अब इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बिना चर्चा के ही संसद में बिल पारित
दोपहर 2 बजे जब राज्यसभा की बैठक हुई तो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया, इससे पहले लोकसभा में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच विधेयक को पारित कर दिया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधेयक को ध्वनि मत के लिए रखा था और इसे कुछ ही सेकंड में मंजूरी दे दी गई, जबकि विपक्ष ने इस तथ्य का विरोध करते हुए अपनी नारेबाजी जारी रखी कि इसे लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।
शुरू से लेकर अब तक का पूरा घटनाक्रम
– 5 जून 2020: केंद्र सरकार ने 3 कृषि विधेयकों की घोषणा की।
– 14 सितंबर 2020: 3 कृषि कानूनों के विधेयक संसद में लाए गए।
– 17 सितंबर 2020: लोकसभा में विधेयक पारित।
– 20 सितंबर 2020: राज्यसभा में ध्वनि मत से विधेयक पारित।
– 24 सितंबर 2020: पंजाब में किसानों ने 3 दिन के रेल रोको आंदोलन की घोषणा की।
– 25 सितंबर 2020: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के आह्वान पर देशभर के किसान प्रदर्शन में जुटे।
– 26 सितंबर 2020: शिरोमणि अकाली दल ने कृषि विधेयकों पर एनडीए छोड़ा।
– 27 सितंबर 2020: कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और भारत के गजट में अधिसूचित करने के साथ ये कृषि कानून बने।
– 25 नवंबर 2020: पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का आह्वान किया, दिल्ली पुलिस ने कोविड-19 के कारण अनुमति नहीं दी।
– 26 नवंबर 2020: दिल्ली की ओर मार्च करने वाले किसानों को हरियाणा के अंबाला जिले में पुलिस ने खदेड़ने की कोशिश की, किसानों ने पानी की बौछारों, आंसू गैस का सामना किया।
– 28 नवंबर 2020: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं से पेशकश की कि अगर वे दिल्ली की सीमाओं को खाली करते हैं और बुराड़ी में निर्धारित प्रदर्शन स्थल पर जाते हैं तो जल्द ही उनसे बातचीत की जाएगी, हालांकि किसानों ने इस पेशकश को ठुकरा दिया।
– 3 दिसंबर 2020: केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले चरण की वार्ता की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही।
– 5 दिसंबर 2020: किसानों और केंद्र के बीच दूसरे चरण की वार्ता भी बेनतीजा रही।
– 8 दिसंबर 2020: किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया, अन्य राज्यों के किसानों ने भी उन्हें समर्थन दिया।
– 9 दिसंबर 2020: किसान नेताओं ने 3 विवादास्पद कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
– 11 दिसंबर 2020: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कृषि कानूनों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
– 13 दिसंबर 2020: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों के प्रदर्शन में ‘टुकड़े टुकड़े’ गिरोह का हाथ है।
– 30 दिसंबर 2020: केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता कुछ आगे बढ़ती दिखी।
– 4 जनवरी 2021: केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने पर राजी नहीं हुआ।
– 7 जनवरी 2021: उच्चतम न्यायालय नए कानूनों को चुनौती देने वाली और प्रदर्शनों के खिलाफ याचिकाओं पर 11 जनवरी 2021 को सुनवाई के लिए राजी हो गया।
– 11 जनवरी 2021: उच्चतम न्यायालय ने किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके को लेकर केंद्र की खिंचाई की।
– 12 जनवरी 2021: उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगायी, कानूनों पर सिफारिशें देने के लिए 4 सदस्यीय समिति गठित की।
– 26 जनवरी 2021: गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई, लाल किले पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, 1 प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
– 29 जनवरी 2021: केंद्र सरकार ने डेढ़ वर्षों के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने और कानून पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया, किसानों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
– 5 फरवरी 2021: दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने किसान प्रदर्शनों पर एक ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था।
– 6 फरवरी 2021: प्रदर्शनरत किसानों ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 3 घंटों के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम’ किया।
– 6 मार्च 2021: किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए 100 दिन पूरे हुए।
– 8 मार्च 2021: सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के समीप गोलियां चली, कोई घायल नहीं हुआ।
– 15 अप्रैल 2021: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे किसानों के साथ वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया।
– 27 मई 2021: किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर ‘काला दिन’ मनाया और केंद्र सरकार के पुतले जलाए।
– 5 जून 2021: प्रदर्शनरत किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के 1 साल होने पर संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस मनाया।
– 26 जून 2021: किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के 7 महीने होने पर दिल्ली की ओर मार्च किया।
– 22 जुलाई 2021: करीब 200 प्रदर्शनरत किसानों ने ‘मानसून सत्र’ की तरह संसद भवन के समीप किसान संसद शुरू की।
– 7 अगस्त 2021: 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन में मुलाकात की और दिल्ली के जंतर मंतर में किसान संसद में जाने का फैसला लिया।
– 5 सितंबर 2021: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुछ महीने बाकी रहने पर एनडीए को चुनौती देते हुए किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में ताकत का बड़ा प्रदर्शन किया।
– 22 अक्टूबर 2021: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह उसके विचाराधीन मामलों पर भी प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनकारी अनिश्चितकाल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते।
29 अक्टूबर 2021: दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से अवरोधक हटाने शुरू किए, जहां केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
– 19 नवंबर 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
– 29 नवंबर 2021: संसद के दोनों सदनों ने कृषि कानून को निरस्त करने वाले कृषि विधि निरसन विधेयक, 2021 को बिना चर्चा के मंजूरी दी।