
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के अंतिम दिन 14 अप्रैल को देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई, 2020 तक कर दिए जाने के बाद आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा चिंताजनक खबर दी है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2020 में 1.9 फीसदी रहेगी।
भारत की विकास दर 1.9 फीसदी रहने का अनुमान
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के अंतिम दिन 14 अप्रैल को देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई, 2020 तक कर दिए जाने के बाद आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा चिंताजनक खबर दी है। आईएमएफ यानि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 14 अप्रैल, 2020 को अपने रिपोर्ट में बताया कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2020 में 1.9 फीसदी रहेगी। आईएमएफ ने बताया कि कोरोना महामारी तथा उसके कारण पूरे विश्व आर्थिक गतिविधियां ठप होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था भीषण मंदी की ओर बढ़ रही है, यह वर्ष 1930 में आई वैश्विक महामंदी के बाद सबसे बड़ी मंदी है।
भारत तीव्र वृद्धि वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं की कैटेगरी में
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में आर्थिक वृद्धि का यही स्तर रहता है तो यह वर्ष 1991 में शुरू हुए उदारीकरण के बाद सबसे कम आर्थिक वृद्धि दर होगी, इसके बावजूद आईएमएफ ने विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट के इस नए संस्करण में भारत को तीव्र वृद्धि वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं की कैटेगरी में रखा है। आईएमएफ के मुताबिक, भारत तथा चीन में वर्ष 2020 में आर्थिक वृद्धि दर सकारात्मक होगी, आईएमएफ के अनुसार, चीन में आर्थिक वृद्धि दर 1.2 फीसदी रहेगी।
वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 3 प्रतिशत की गिरावट- गीता गोपीनाथ
आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने बताया कि हमारा अनुमान है कि वर्ष 2020 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 3 प्रतिशत की गिरावट आएगी। गीता गोपीनाथ ने बताया कि कोरोना महामारी से सभी सेक्टरों में वृद्धि दर प्रभावित होगी। ध्यान रहे है वर्ष 1929 में वैश्विक महामंदी की शुरुआत अमेरिका में शुरू हुई था, उस समय न्यूयार्क शेयर बाजार में बड़ी गिरावट के साथ निवेशकों को लाखों डॉलर की घाटे के बाद इसकी शुरूआत हुई थी। आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, विकसित देशों की कैटेगरी में ज्यादातर देशों की आर्थिक वृद्धि में गिरावट आएगी, इसमें अमेरिका में -5.9 फीसदी, ब्रिटेन में-6.5 फीसदी, जापान में -5.2 फीसदी, फ्रांस में -7.2 फीसदी, इटली में -9 फीसदी, जर्मनी में- 7.0 फीसदी तथा स्पेन में -8 फीसदी की गिरावट हो सकती है।
सभी विकसित देशों की आर्थिक वृद्धि में गिरावट
आईएमएफ के रिपोर्ट के मुताबिक, लैटिन अमेरिका के ब्राजील में आर्थिक वृद्धि दर में 5.3 फीसदी तथा मेक्सिको में 6.6 फीसदी की गिरावट होने की उम्मीद है, जबकि उभरते तथा विकासशील यूरोप में वृद्धि दर में 5.2 फीसदी की गिरावट आएगी। आईएमएफ ने बताया कि रूस की आर्थिक वृद्धि दर में 5.5 फीसदी की गिरावट आएगी, जबकि पश्चिम एशिया तथा मध्य एशिया में आर्थिक वृद्धि दर में 2.8 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है। गोपीनाथ ने बताया कि यह संकट गहरा है और इसके लोगों के जीवन तथा आजीविका पर प्रभाव को लेकर काफी अनिश्चितता है, यह काफी हद तक संक्रमण के फैलने, उसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने और इसकी दवाएं एवं वैक्सीन विकसित होने पर निर्भर करेगा।
वर्ष 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहेगी
गोपीनाथ ने बताया कि कोरोना महामारी वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में हल्की पड़ सकती है तथा पूरे विश्व में कंपनियों के दिवालिया होने और रोजगार बचाने को लेकर जो कदम उठाए जाएंगे, उससे वर्ष 2021 में वैश्विक वृद्धि दर उछल कर 5.8 प्रतिशत हो सकती है। आईएमएफ के मुताबिक, वर्ष 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 फीसदी हो सकती है, जबकि चीन की 9.2 फीसदी रहेगी, वहीं अमेरिका की 4.5 फीसदी तथा जापान की 3 फीसदी रह सकती है। गोपानाथ ने बताया कि यह वास्तव में वैश्विक संकट है, क्योंकि दुनिया में कोई भी देश इससे अछूता नहीं है।
भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 12 हजार के पार
गौरतलब है कि अब तक भारत में कोरोना वायरस पॉजिटिव केसों की कुल संख्या 12,300 को पार कर चुकी है, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 1498 हो गई है, जबकि कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या 420 हो चुकी है। अब तक पूरे विश्व में कोरोना पॉजिटिव केसों की कुल संख्या करीब 20 लाख, 35 हजार पहुंच चुकी है तथा इससे मरने वालों की संख्या करीब 1 लाख, 30 हजार को पार कर चुकी है। विश्व में सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केसों की कुल संख्या अमेरिका में करीब 6 लाख 18 हजार पहुंच चुकी है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या यहां करीब 26,300 हो चुकी है।