
केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली मेट्रो को लोन चुकाने के लिए वित्तीय मदद देने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली मेट्रो को ये सलाह भी दी है कि वह दिल्ली सरकार से सहायता ले। केंद्र सरकार के इस रुख से दिल्ली मेट्रो का वित्तीय संकट बढ़ सकता है, क्योंकि दिल्ली मेट्रो अब तक 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक का लोन ले चुकी है।
केंद्र नहीं देगा दिल्ली मेट्रो को वित्तीय मदद
केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली मेट्रो को लोन चुकाने के लिए वित्तीय मदद देने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली मेट्रो को ये सलाह भी दी है कि वह दिल्ली सरकार से सहायता ले। केंद्र सरकार के इस रुख से दिल्ली मेट्रो का वित्तीय संकट बढ़ सकता है, खासतौर पर लोन की किस्तें चुकाने में उसे अपने दूसरे वित्तीय संसाधनों में से राशि निकालनी पड़ सकती है। ध्यान रहे कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन के बाद से ही दिल्ली मेट्रो ठप पड़ी है, जिसके चलते उसे अब तक करीब 1500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इनमें टिकटों की बिक्री से होने वाली आय के साथ ही अन्य साधनों से भी पैसा मिलना बंद हो गया है, इनमें मेट्रो स्टेशनों पर बनी दुकानों से होने वाली आमदनी भी शामिल है।
दिल्ली मेट्रो ने लिया 35 हजार करोड़ का लोन
दिल्ली मेट्रो की सबसे बड़ी चिंता उस लोन की है, जो मेट्रो बनाने के लिए जापान की वित्तीय संस्था जाइका से लिया गया है, मेट्रो अब तक 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक का लोन ले चुकी है और इस लोन में से अधिकांश हिस्से की किस्तें भी अदा होनी शुरू हो चुकी हैं। दिल्ली मेट्रो सूत्रों का कहना है कि उसकी चिंता यह है कि उसे चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 1240 करोड़ रुपए लोन की किस्तों के रूप में अदा करना है, आमदनी ठप होने की वजह से उसके कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन भत्ते और अन्य खर्चे बरकरार हैं, मेट्रो ऑपरेशन न होने से सिर्फ उसके बिजली बिल का खर्चा ही कम हुआ है।
दिल्ली मेट्रो के लोन का गारंटर है केंद्र
ध्यान रहे कि जाइका के लोन के लिए भारत सरकार ही गारंटर है और उसके जरिए ही लोन चुकाया जाता है, इसी वजह से दिल्ली मेट्रो चाहती थी कि उसे लोन की किस्तों से फिलहाल कुछ राहत दी जाए। लेकिन केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की चिंता यह है कि अगर दिल्ली मेट्रो को मदद दी गई तो देश भर की अन्य मेट्रो भी इसी तरह की मांग कर सकती हैं, इसी वजह से केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने न सिर्फ दिल्ली मेट्रो बल्कि अन्य शहरों की मेट्रो निगमों को भी अपनी अपनी राज्य सरकारों से मदद मांगने की सलाह दी है। दिल्ली मेट्रो के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुज दयाल ने इस बात की पुष्टि की है कि दिल्ली मेट्रो को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से इस संदर्भ में पत्र लिखा है। दिल्ली मेट्रो इसका आकलन करके जरूरी कदम उठाएगी।
मेट्रो ने जाइका से लिया 35,198 करोड़ रुपए
दिल्ली मेट्रो के सूत्रों के मुताबिक, 1997 से अब तक जाइका से वह 35,198 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। चूंकि जाइका से लोन के साथ शर्त यह है कि लोन मिलने के 10स वर्ष बाद उसकी किस्तें शुरू होती हैं, इसी वजह से दिल्ली मेट्रो ने वर्ष 2007 से किस्तें चुकाना शुरू किया है, लेकिन उसके सामने पहली बार इस तरह का संकट उत्पन्न हुआ है। डीएमआरसी अब तक जाइका को 3,337 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है, अभी भी 31,861 करोड़ का कर्ज बकाया है। चालू वित्त वर्ष में डीएमआरसी को 1242 करोड़ का भुगतान करना है, लेकिन अभी तक वह 79 करोड़ रुपए का ही भुगतान कर पाई है और उसे इसी वर्ष 1163 करोड़ रुपए और चुकाना है।