
जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार से इतर बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने अपना निर्णय ले लिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में जातीय जनगणना होगी, इस जातीय जनगणना का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
बिहार में जातीय जनगणना कराई जाएगी- नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 6 दिसबर को ऐलान किया है कि बिहार में जातीय जनगणना कराई जाएगी। जनता दरबार के बाद आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना की तैयारी हो चुकी है, बारीक तरीके से जातीय जनगणना कराई जाएगी, इसका खर्च राज्य सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पारदर्शी तरीके से जातीय जनगणना कराएगी, किसी भी प्रकार की चूक नहीं की जाएगी, ऑल पार्टी मीटिंग करके इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा, तमाम सियासी पार्टियों की सहमति हो गई है, हम जल्द सर्वदलीय बैठक करने जा रहे हैं, डिप्टी सीएम और अपनी पार्टी के सभी लोगों से बात कर चुके हैं, जल्द एक तारीख तय कर मीटिंग की जाएगी।
जातीय जनगणना कराने वाला बिहार दूसरा राज्य होगा
नीतीश कुमार ने कहा कि ‘इसमें सब लोगों की राय जरूरी है। जातीय जनगणना कैसे करानी है, कब करानी है, किस माध्यम से कराएंगे, यह सब मीटिंग में सबसे राय लेकर तय किया जाएगा। सबकी सहमति से जो बात निकलेगी उसी आधार पर कराई जाएगी। यह बहुत ठीक ढंग से कराया जाएगा ताकि कोई चीज मिस न हो।’ ध्यान रहे कि इससे पहले कर्नाटक अपने स्तर से जातीय जनगणना करा चुका है, अब जातीय जनगणना कराने वाला बिहार देश का दूसरा राज्य होगा।
तेजस्वी यादव ने की थी दोबारा मांग
शीतकालीन सत्र में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दोबारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर जातीय जनगणना कराने की मांग की थी, इसमें नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को भरोसा दिया था कि जल्द जातीय जनगणना को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग कर अंतिम रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के बाद अब यह साफ हो गया है कि नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर अपना रुख बना लिया है।
पीएम मोदी से मिल चुके हैं नीतीश व तेजस्वी
जातीय जनगणना के मसले पर अगस्त 2021 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत बिहार की 10 पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इन नेताओं ने 2021 की जनगणना में जातिगत गणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से चर्चा की थी। बिहार में भाजपा को छोड़कर बाकी सभी पार्टी जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं, हालांकि, केंद्र सरकार पहले ही इससे इनकार कर चुकी है।
आखिरी बार 1931 में हुई थी जातिगत जनगणना
गौरतलब है कि देश में पहली बार 1972 में जनगणना हुई थी, उसके बाद 1881 से 10 वर्ष पर नियमित जनगणना होने लगी थी। पहली बार हुई जनगणना में भी जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे, तब से हर 10 साल पर जनगणना होती है। साल 1931 तक की जनगणना में जातिवार आंकड़े भी जारी होते थे। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया। आजादी के बाद सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का डेटा जारी करने का फैसला किया, इसके बाद से बाकी जातियों के जातिवार आंकड़े कभी जारी नहीं हुए।