बिहार में यौन शोषण के आरोप में डीआईजी स्तर के अधिकारी को दोषी पाए जाने के मामले का खुलासा होने से हड़कंप मच गया है। पीड़िता के भाई ने अक्टूबर 2018 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास इसकी शिकायत की, जिसके बाद मामले में दूसरे दिन ही एक्शन लिया गया।
सीनियर IPS राजीव रंजन पर लगा आरोप
बिहार में पुलिस महकमे से जुड़ा हुआ एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। दरअसल, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अधिकतर भ्रष्टाचार के आरोप ही लगते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला एक युवती के यौन शोषण से जुड़ा है और आरोप लगा है कि सीनियर आईपीएस अधिकारी रेल डीआईजी और एससीआरबी राजीव रंजन पर। मिली जानकारी के मुताबिक, रेल डीआईजी के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर सीआईडी ने जांच की थी, अब सीआईडी ने अपनी जांच पूरी कर ली है और जांच में डीआईजी के खिलाफ यौन शोषण के आरोप को सही पाया गया है, ऐसे में अब रेल डीआईजी पूरी तरह आरोपों में जकड़ते नजर आ रहे हैं।
राजीव रंजन का आचरण संदिग्ध- सीआईडी
सीआईडी ने 400 पेज की अपनी रिपोर्ट में आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन के आचरण को संदिग्ध माना है और उनको पद के दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया है. साथ ही रेल डीआईजी के खिलाफ की जांच की रिपोर्ट भी बिहार डीजीपी कार्यालय को भेज दी गई। अब रेल डीआईजी के खिलाफ अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा कार्रवाई करने को लेकर फैसला लिया जाना है। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट के बाद रेल डीआईजी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए जा सकते हैं।
यह मामला 4 साल पुराना है
यह मामला 4 साल पुराना बताया जा रहा है, जब 2018 में फेसबुक के माध्यम से आईपीएस राजीव रंजन की दोस्ती हैदराबाद में रह रही झारखंड की एक महिला से हुई थी, धीरे-धीरे यह दोस्ती लगातार गहरी होती चली गई। इस मामले में महिला ने आरोप लगाया है कि अप्रैल 2018 में नेशनल पुलिस एकेडमी की कार से वह वनस्थलीपुरम थाना क्षेत्र स्थित उनके घर पहुंच गए और अकेला पाकर उनका यौन शोषण किया, इसके बाद यह सिलसिला जारी रहा। महिला का आरोप है कि जब मैंने इस रिश्ते को खत्म करने की कोशिश की तो उन्होंने अपने पद का रौब गांठना शुरू कर दिया और धमकी देने पर उतर आए।
राजीव रंजन ने पद का दुरुपयोग किया- पीड़िता
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि अपने पद का दुरुपयोग करते हुए डीआईजी राजीव रंजन ने पहले धमकी दी फिर छोटे भाई के ससुर के माध्यम से पटना के अगमकुआं थाने में 19 जुलाई 2018 को महिला और उसके पति के खिलाफ आईटी एक्ट और रंगदारी का केस दर्ज करा दिया। महिला का आरोप है कि इस दौरान थाना और दूसरे पुलिस अफसर, जेल के अधिकारी और अन्य लोग कानून के हर नियम को तोड़ते नजर आए। पीड़िता ने आईपीएस राजीव रंजन और उसके मददगारों के खिलाफ बेटे को अगवा करने, पति को झूठे केस में फंसाने और टॉर्चर करने को लेकर डीजीपी कार्यालय में भी शिकायत की थी।
पीड़िता के भाई ने सीएम से की थी शिकायत
बाद में पीड़िता के भाई ने अक्टूबर 2018 में सीएम नीतीश कुमार के पास इसकी शिकायत की, जिसके बाद इस मामले में दूसरे दिन ही एक्शन लिया गया। चूंकि मामला एक आईपीएस से जुड़ा था, ऐसे में जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंप दी गई। 4 सालों में जांच तो पूरी हो गई लेकिन पीड़िता के भाई की भी हादसे में मौत हो गई है। रेल डीआईजी के खिलाफ चल रहे जांच में सीआईडी ने एक डीएसपी, अगमकुआं के थानेदार, अनुसंधान अधिकारी समेत कई पुलिस अधिकारियों, एक डॉक्टर और बेउर जेल के अधिकारियों को भी दोषी पाया है। जांच रिपोर्ट में इन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। इस जांच में आईपीएस रैंक के 6 अधिकारी शामिल किए गए थे, जिसमें 1 अभी डीजी के पद पर हैं, वहीं 2 एडीजीपी और 1 डीआईजी रैंक पर पोस्टेड हैं।