नेशनल साइकिलिंग में पदक विजेता कर रहे हैं हेयर कटिंग…जानिए कौन हैं ?

कहावत है कि अगर पूरी शिद्दत से कोई उपलब्धि हासिल करना चाहे उसके लिए नियमित अभ्यास व मेहनत करे तो हर कामयाबी छोटी पड़ जाती है। मगर कुछ लोग जन्म से ही प्रतिभाशाली होते हैं, कुछ इसी तरह का कथन बिल्कुल सटीक बैठता है उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी निवासी 22 वर्षीय जावेद अहमद पर, जिन्होंने अपने लक्ष्य में गरीबी को आगे आने नहीं दिया।

पदक विजेता जावेद अहमद करते हैं बालों की कटिंग

कहावत है कि अगर पूरी शिद्दत से कोई उपलब्धि हासिल करना चाहे उसके लिए नियमित अभ्यास व मेहनत करे तो हर कामयाबी छोटी पड़ जाती है। मगर कुछ लोग जन्म से ही प्रतिभाशाली होते हैं, कुछ इसी तरह का कथन बिल्कुल सटीक बैठता है उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी निवासी 22 वर्षीय जावेद अहमद पर, जिन्होंने अपने लक्ष्य में गरीबी को आगे आने नहीं दिया। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित 23वीं नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप, 2018 में साइकिल दौड़ा कर कांस्य पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था, आज वह परिवार के पालन पोषण के लिए नाई की दुकान पर बालों की कटिंग करने के साथ अपने सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं।

जावेद जगतपुरी में किराए के मकान में रहते हैं

जावेद अहमद अपने परिवार में पिता सलीम अहमद, माता रेशमा और छोटे भाई समीर अहमद के साथ दिल्ली के जगतपुरी में एक किराए के मकान में रहते हैं। जावेद के पिता सलीम अहमद की अपनी नाई की दुकान है, परिवार का पालन पोषण इसी दुकान के सहारे चल रहा है। वर्ष 2018 में जावेद के पिता सलीम अहमद को हार्ट अटैक आया था जिसके बाद डॉक्टरों ने पिता को आराम करने के लिए कह दिया। परिवार में बड़ा बेटा होने के नाते जावेद अपने पिता की दुकान पर काम कर परिवार की जिम्मेदारी उठा रहा है, लेकिन उसने कभी भी अपने भविष्य के सामने परिवार की आर्थिक मजबूरी को सामने नहीं आने दिया।

जावेद सुबह 4 बजे से 8 बजे तक अभ्यास करते हैं

जावेद अहमद सुबह 4 बजे से 8 बजे तक साइकिल चलाकर भविष्य में आयोजित साइकिलिंग चैंपियनशिप के लिए अभ्यास करता है, फिर 9 बजे से दुकान खोलकर लोगों के बालों की कटिंग करता है। जावेद ने बताया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं और दोपहर में थोड़ा समय निकालकर घर पर भी पढ़ाई कर लेते है। जावेद ने बताया कि जरूरी नहीं की हर कोई जन्म से ही अमीर होता है, अगर मेहनत और लगन हो तो हर कामयाबी हासिल की जा सकती है।

मेरा सपना है देश के लिए स्वर्ण पदक जींतू- जावेद

जावेद ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर हूं तो क्या हुआ मेरे पास हौसला है और इस हौसले के बदौलत जीवन में आगे बढ़ता रहूंगा, मेरा सपना है कि साइकिलिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक जींतू, मुश्किलें तमाम है, पर इसे हर हाल में पूरा करूंगा। उन्होंने कहा कि परिवार के पालन पोषण के साथ ही अपने भविष्य को संवारने के लिए पिता की दुकान को संभालकर दिनरात काम कर रहे हैं। जावेद के पिता सलीम का कहना है कि बेटे जावेद के ऊपर कम उम्र में ही काफी जिम्मेदारियां आ गई, ना ठीक से अपनी साइकिलिंग का अभ्यास कर पा रहा और न ही ठीक से पढ़ाई कर पा रहा है, छोटी सी उम्र में परिवार को संभाले हुआ है, बेटा अपनी मेहनत के बदौलत ही कामयाब हो पाया है।

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