दिल्ली में चुनाव की तारीखों का एलान, जानिए कब होगी वोटिंग और कब होगी मतगणना

देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. दिल्ली में 8 फरवरी को सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे, 11 फरवरी को चुनाव नतीजों का ऐलान होगा. इसी के साथ राजधानी में आचार संहिता लागू हो गई है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव का शेड्यूल –
नोटिफिकेशन – 14 जनवरी, मंगलवार
नॉमिनेशन की आखिरी तारीख – 21 जनवरी, मंगलवार
स्क्रूटनी – 23 जनवरी
नामांकन वापस लेने की तारीख – 24 जनवरी
वोटिंग – 8 फरवरी
नतीजे – 11 फरवरी

देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव हमेशा ही दिलचस्प होता है. यहां से निकले जनादेश का संदेश पूरे देश में जाता है. दिल्ली में करीब डेढ़ करोड़ वोटर हैं जो राज्य सरकार की किस्मत का फैसला करेंगे.
कुल वोटर – 1,46,92136
पुरुष वोटर – 8055686
महिला वोटर – 6635635
थर्ड जेंडर – 815
NRI वोटर – 489
सर्विस वोटर्स – 11556
कुल पोलिंग बूथ – 13750
कुल विधानसभाएं- 70

कुल सीटें – 70
58 सामान्य, 12 SC सीटें
कुल पोलिंग बूथ- 13750
स्थानों पर वोटिंग होगी – 2689
चुनाव के लिए जरूरी कर्मचारी – 90 हजार

22 फरवरी को खत्म हो रहा है कार्यकाल
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी, 2020 को खत्म हो रहा है. वोटरों को पोलिंग बूथ पर आने के लिए पिक अप-ड्रॉप मिलेगा. इसकी जानकारी वेबसाइट पर डाल दी जाएगी और एक नंबर भी जारी किया जाएगा.

2015 में क्या रहे थे चुनाव नतीजे?
दिल्ली में पिछली बार के चुनाव नतीजे आखिर किसे याद नहीं होंगे. अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता पर सवार होकर आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया था. आम आदमी पार्टी ने 2015 विधानसभा चुनाव में 70 में से 67, बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं. कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.

किस पार्टी का क्या है मुद्दा?
आम आदमी पार्टी – सत्ताधारी दल इस बार अपने पांच साल के काम पर आगे बढ़ रहा है. जिसमें मुफ्त बिजली-पानी, स्कूल, मोहल्ला क्लीनिक को फ्रंट पर रखकर एक बार फिर सरकार बनाने का दावा ठोका जा रहा है.
भारतीय जनता पार्टी – 2019 में बीजेपी एक बार फिर चुनाव जीतकर आई है, ऐसे में उसे उम्मीद है कि कुछ मोदी मैजिक काम आएगा. हाल ही में अनाधिकृत कॉलोनियों को मोदी सरकार ने पक्का किया है, जिसे बीजेपी भुनाना चाहेगी. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सातों लोकसभा सीटें जीती थीं. हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार ना होना बीजेपी के लिए हानिकारक हो सकता है.
कांग्रेस – कांग्रेस पार्टी ने 2015 में खाता भी नहीं खोला था, ऐसे में इस चुनाव में उसकी कोशिश कुछ सीटें जीतनी की तो होंगी. इसके अलावा पार्टी ने कुछ लोकलुभावन वादे भी किए हैं, जिसके जरिए वह दिल्ली में खाता खोलने की उम्मीद लगाए हुए है.

Load More Related Articles
Load More By admin
Load More In देश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

रजत जयंती पर विशेष : सरस मेला

सरस मेला : 25 वर्षों का शानदार सफ़र और गौरवशाली उपलब्धियाँ – चिरंजी लाल कटारिया- वर्…