भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार यानि 29 मई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इससे हमारा NavIC नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा। नाविक सैटेलाइट्स से हमारी सेनाओं को दुश्मनों के ठिकानों की सटीक जानकारी मिलेगी। इनके अलावा नेविगेशन सर्विस भी मजबूत होगी। इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि भारत के पास 7 नाविक सैटेलाइट्स थे, इनमें से 4 ही काम कर रहे हैं, 3 खराब हो चुके हैं। अगर हम तीनों को बदलते तब तक ये 4 भी बेकार हो जाते, इसलिए हमने 5 नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स NVS को छोड़ने की तैयारी की, NVS-01 उनमें से एक है।
भारत को 3 फायदे जो नाविक से मिलेंगे
• जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी और ओला-उबर जैसी सर्विसेज नेविगेशन के लिए GPS का इस्तेमाल करती हैं। NavIC इन कंपनियों के लिए नेविगेशन सब्सक्रिप्शन कॉस्ट को कम कर सकता है और एक्यूरेसी बढ़ा सकता है।
• NavIC से अमेरिका के जीपीएस पर निर्भरता कम होगी और इंटरनेशनल बॉर्डर सिक्योरिटी ज्यादा बेहतर होगी। चक्रवातों के दौरान मछुआरों, पुलिस, सेना और हवाई/जल परिवहन को बेहतर नेविगेशन सिक्योरिटी मिलेगी।
• NavIC टेक्नोलॉजी ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को मदद कर सकती है। इसके जरिेए टूर को ज्यादा इनफॉर्मेटिव और इंटरैक्टिव बनाकर गेस्ट का एक्सपीरियंस और ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता है। आम लोग लोकेशन के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अमेरिका ने मदद करने से इनकार किया था
1999 में कारगिल वॉर के दौरान भारत सरकार ने घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों की पोजीशन जानने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी, तब अमेरिका ने GPS सपोर्ट देने से मना कर दिया था, इसके बाद से ही भारत अपना नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बनाने में जुट गया था।
रॉकेट ने सुबह 10:42 बजे उड़ान भरी
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 10:42 बजे GSLV ने उड़ान भरी। लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग हो गया। इसने NVS-1 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय किया, इसके बाद इंजीनियरों ने सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने के लिए ऑर्बिट-रेजिंग मैनुवर परफॉर्म किए।