मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देने का फैसला समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए चौंकाने वाला है। इसे केंद्र की मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। यह फैसला सिर्फ मुलायम सिंह के सम्मान भर का नहीं है, बल्कि इसमें भाजपा को उम्मीदें दिखती हैं, क्योंकि मुलायम सिंह की विरासत पर भाजपा की भी नजर है और 2024 में यादव वोट बैंक तो अहम हैं ही।
मुलायम सिंह को मिला पद्म विभूषण
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जब हर वर्ष की भांति इस बार भी पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ तो एक नाम ने सबको चौंका दिया। यह नाम है स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव का। उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री, देश के रक्षा मंत्री, प्रख्यात समाजवादी और धरतीपुत्र के नाम से विख्यात मुलायम सिंह यादव को जब मोदी सरकार ने पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा तो समाजवादी पार्टी भी एकबारगी चौंक गई, उसे भी यकीन नहीं रहा होगा कि मोदी सरकार सर्वोच्च पद्म सम्मान से इतनी जल्दी स्व मुलायम सिंह यादव को नवाज देगी।
2024 में यादव वोट बैंक पर नजर
मोदी सरकार का यह फैसला सिर्फ मुलायम सिंह यादव के सम्मान भर का नहीं है, बल्कि इसमें भाजपा को अपने लिए भी उपहार दिखता है, क्योंकि मुलायम सिंह की सियासी विरासत पर भाजपा की भी नजर है और 2024 के चुनाव में यादव वोट बैंक भी भाजपा के लिए अहम है। मुलायम सिंह यादव जो कि भाजपा के सबसे बड़े धुर विरोधी सियासतदां रहे हैं और जिस मुलायम सिंह के अंध विरोध में भाजपा फली फूली उसी केंद्र की भाजपा सरकार ने मुलायम सिंह यादव को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा है।
मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक
दरअसल, मुलायम सिंह यादव के निधन को अभी कुछ महीने ही गुजरे हैं और केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा नागरिक सम्मान मुलायम सिंह यादव को दिया। मोदी सरकार का ये वो मास्टर स्ट्रोक है जिसकी भनक मुलायम सिंह यादव के बेटे व सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी नहीं रही होगी, देर रात तक अखिलेश यादव का कोई ट्वीट या कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी के पास इस फैसले की तारीफ करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
मुलायम ने की थी मोदी की तारीफ
भाजपा ने पिछले कुछ समय से यादव वोट बैंक पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं। यादव वोट बैंक का एक बड़ा तबका लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भाजपा को वोट करता है और जिस तरीके से मुलायम सिंह यादव ने संसद में पीएम मोदी की तारीफ की थी, 2019 में दोबारा सत्ता में लौटने की कामना की थी उसके बाद से तो मुलायम सिंह यादव पीएम मोदी के सबसे प्रिय विरोधी नेताओं में सबसे ऊपर थे। मुलायम सिंह यादव और प्रधानमंत्री मोदी के बीच की ये केमिस्ट्री अखिलेश यादव को भी कभी-कभी अखर जाती थी और अखिलेश यादव सफाई देते नजर आते थे।
मुलायम के निधन पर भावुक हुए थे मोदी
मुलायम सिंह यादव का जब निधन हुआ तब पीएम मोदी गुजरात में चुनाव कैंपेन में थे और अपने चुनावी भाषण के बीच उन्होंने 10 मिनट तक भावुक होकर मुलायम सिंह यादव को याद को याद किया था। मुलायम सिंह हाल के दिनों में भाजपा के लिए इतने प्रिय हो गए थे कि राज्य कार्यकारिणी की हाल में हुई बैठक के दौरान मुलायम सिंह यादव को मंच से श्रद्धांजलि दी गई, वो चाहे पद्म विभूषण का सम्मान हो या फिर राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि, यह कोई मुलायम सिंह यादव के प्रति अगाध श्रद्धा की वजह से नहीं है बल्कि माना जा रहा है भाजपा अब अपने वोट बैंक में यादव को भी उसी तरीके से जोड़ना चाहती है जैसे दूसरी जातियों को उसने जोड़ा है।
BJP की यादव बिरादरी को जोड़ने की ललक
प्रधानमंत्री मोदी के अगर हालिया फैसलों को देखें तो उसमें यादव बिरादरी को जोड़ने की एक ललक नजर आती है। हरियाणा से सुधा यादव को भाजपा ने अपने टॉप बॉडी पार्लियामेंट बोर्ड में जगह दी तो कानपुर इलाके के सबसे बड़े यादव नेता स्वर्गीय हरमोहन सिंह यादव की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने शिरकत की, वहीं मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित कर उन्होंने यादव बिरादरी की तरफ हाथ बढ़ाया है। जानकारों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी 2024 में यादवों को यह संदेश देना चाहते हैं, चाहे वह बिहार हो या उत्तर प्रदेश यहां के यादव मतदाता भाजपा के बारे में एक बार जरूर सोचें।